हम अक्सर अपने आसपास पति-पत्नी के संबंधों में लड़ाई-झगड़े और मनमुटावों को देखते और सुनते आते हैं. पति-पत्नी के बीच होने वाली लड़ाईयां कई कारणों से हो सकते हैं लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे ज्योतिषीय कारण बताएंगे जिसके कारण पति-पत्नी के बीच लड़ाई- झगड़े होते रहते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर-वधू के बीच संबंध स्थापित होने में मंगल ग्रह की अहम भूमिका होती है. अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ भाव में मौजूद हो या फिर इसक संबंध कुंडली के सातवें और पांचवें भाव से हो तो पति-पत्नी के बीच अक्सर लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं. इसके अलावा अगर किसी जातक की कुंडली में शनि या राहु सातवें भाव में नीच में मौजूद हो तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं रहता है. आइए कुछ ऐसे दूसरे अशुभ योगों के बारे में जानते हैं जिससे वैवाहिक जीवन में तनाव का कारण बनता है.
कुंडली में बनने वाले कुछ अशुभ योग
1- हिंदू धर्म में किसी वर और कन्या के विवाह से पहले कुंडली मिलन करके दोनों के गुणों का मिलान किया जाता है. अगर कुंडली में गुण मिलान नहीं हो पाता है तो वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती हैं. ज्योतिष के अनुसार अगर वर और कन्या की कुंडली में गण दोष, भकूट दोष, नाड़ी दोष और द्विद्वादश दोष होता है तो विवाह के बाद पति-पत्नी के बीच मनमुटाव रहता है.
2-ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को ऊर्जा और पराक्रम का कारक ग्रह माना जाता है. अगर किसी वर की कुंडली में मंगलदोष तो उसकी शादी मंगली लड़की से करना शुभ होता है. अगर वर में मंगलदोष होता है और कन्या में यह दोष नहीं होता है फिर भी शादी होती है तो दोनों के बीच में अक्सर लड़ाई- झगड़े होंगे.
3- ज्योतिष गणना के अनुसार गुरु और शुक्र ग्रह विवाह के कारक ग्रह होते हैं ऐसे में अगर कुंडली में गुरु या फिर शुक्र ग्रह नीच में हो और इनका संबंध कुंडली के सातवें भाव में बन रहा है तो वैवाहिक जीवन में हमेशा कटुता आती है.
4- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी जातक की कुंडली में अगर सातवें भाव के स्वामी छठे, आठवें और बारहवें भाव में स्थित हो तो लड़ाई-झगड़े ज्यादा होते हैं.
5- जब किसी जातक की कुंडली में राहु और चंद्रमा नीच में स्थित हो और इनका संबंध कुंडली के सातवें भाव से बन रहा हो तो जीवनसाथी के बीच में शक और मतभेद ज्यादा पैदा होते हैं.