काठमांडो : नेपाल में शुक्रवार को भूकंप बड़ी तबाही लेकर आया था। जलजले से जाजरकोट में 905 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं जबकि 2745 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। वहीं रुकुम पश्चिम में भूकंप से 2,136 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। 2,642 घरों को आंशिक व 4,670 घरों को सामान्य नुकसान पहुंचा है। कड़ाके की ठंड (bitter cold) में खुले आसमान में नीचे हजारों लोग रात बिता रहे हैं। इसी बीच रविवार को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि कोई नुकसान नहीं हुआ।
भूकंप का अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों की टीम जाजरकोट पहुंच चुकी है। काठमांडो स्थित भूकंप मापन एवं अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. लोक विजय अधिकारी इसका नेतृत्व कर रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि जाजरकोट में झटके बझांग भूकंप का आफ्टरशॉक नहीं था। यह अलग भूकंप था। भूकंप पर समग्र अध्ययन व अनुसंधान करने वाले खान एवं भूकंप विभाग के महानिदेशक राम प्रसाद घिमिरे ने बताया कि टीम भूकंप की गहराई, नुकसान की दिशा व क्षतिग्रस्त घरों का अध्ययन करेगी।
भूकंप की त्रासदी झेल रहे नेपाल के लोगों के लिए भारत ने रविवार को दवाएं व अन्य राहत सामग्री भेजी। भारतीय वायु सेना के परिवहन विमान द्वारा पहुंचाई गई राहत सामग्री की इस खेप को नेपाल में भारतीय राजदूत नवीन श्रीवास्तव ने नेपाली अधिकारियों को सौंपा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, नेपाल के भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में आपातकालीन राहत सहायता प्रदान की जा रही है। भारत दवाएं और राहत सामग्री पहुंचा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पड़ोसी प्रथम की नीति के तहत यह खेप भेजी गई।
नेपाल के स्वास्थ्य मंत्री मोहन बहादुर ने बताया, प्रभावित क्षेत्रों में भोजन, तिरपाल व तंबू पहुंचाने का काम शुरू हो चुका है। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि जीवित बचे लोगों को सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाए। मंत्री ने कहा कि सरकार 2015 के भूकंप बाद की प्रतिक्रिया के दौरान हुई गलतियों की पुनरावृत्ति इस बार नहीं होने देगी। आपदा से निपटने के लिए पर्याप्त साधन नहीं होने के कारण शनिवार सुबह अराजक स्थिति रही।