भूकंप ने ली परिवार के 25 लोगों की जान, शवों से लिपट चिल्लाता रहा शख्स

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अंकारा: एक सीरियाई शरणार्थी ने तुर्किये और सीरिया में आए 7.8 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप में अपने परिवार के 25 सदस्यों को खो दिया. इस शरणार्थी का नाम अहमद इदरीस है. उनका पूरा परिवार युद्धग्रस्त सीरिया से भागकर आश्रय खोजने के लिए तुर्किये की सीमा पर बने शेल्टर होम आया था. एक विस्थापित सीरियाई अमहद इदरीस ने न्यूज एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा कि 2012 में मेरा पूरा परिवार सरायकिब में शरण लेने पहुंचा था. साल 2020 में सीरियाई सेना ने सरायकिब को फिर से अपने कब्जे में ले लिया था. हम अपने लिए सुरक्षित शेल्टर की खोज में यहां आए थे, लेकिन देखो यहां भाग्य ने हमारे साथ क्या कर दिया?

इदरीस मुर्दाघर पहुंचे तो पाया कि चारों ओर शवों के ढेर थे. इन ढेरों के बीच वह एक-एक कर अपने परिवार वालों की पहचान करते और उनके शवों के पास बैठकर भाग्य को कोसते. न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक अपने मृत पोते से लिपटते हुए इदरीस ने आसमान की ओर देखकर कहा- ‘तुमने मेरा दिल दुखाया है. जो कुछ हुआ है उसके साथ, मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ हो सकता है. मैंने अपनी बेटी खो दी; उसके दो बेटे. मेरी बेटी के ससुर का परिवार; उसकी सास और उनके बेटे – जिनमें से एक के बच्चे थे, एक बड़ा परिवार और कई बेटे भी…सबकुछ खत्म.’

उन्होंने कहा, हम 2012 से युद्ध की विभीषिका झेल रहे हैं. सीरिया छोड़कर आश्रय लेने सरायकिब आए लेकिन अन्याय को देखो जो हमारा पीछा कर रहा है, यहां भी हमारे साथ बुरा हुआ. गत 6 फरवरी को आए 7.8 तीव्रता के भूकंप से तुर्किये और सीरिया में अब तक 15000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. यह एक दशक से अधिक समय में सबसे घातक भूकंपीय घटना है. साल 2015 में नेपाल में तबाही मचाने वाले 7.8 तीव्रता के भूकंप से मरने वालों की संख्या यहां अधिक है. नेपाल की त्रासदी में 8,800 से अधिक लोग मारे गए थे.

तुर्किये और सीरिया में बचाव दल भूकंप के कारण क्षतिग्रस्त हुए घरों के मलबे में फंसे लोगों की तलाश जारी रखे हुए हैं. सभी बाधाओं के बावजूद, 7.8 तीव्रता के भूकंप के 72 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी खोजी दल लोगों को मलबे से निकाल रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि दोनों देशों में कई और मृतकों के मिलने की संभावना है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हताहतों की संख्या कल तक 20,000 तक पहुंच सकती है. इसी बीच भारतीय सेना और NDRF की टीमों ने तुर्किये में मोर्चा संभाल लिया है. भारतीय सेना ने भूकंप प्रभावित इलाकों में फील्ड हॉस्पिटल बनाया है, जहां घायलों का लगातार इलाज चल रहा है. वहीं, NDRF की तीन टीमें भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में मलबों के बीच फंसे लोगों की तलाश कर रही हैं.

युद्धग्रस्त सीरिया के उत्तर-पश्चिमी इलाकों में सरकार के नियंत्रण से बाहर रहने वाले दर्जनों इमारतों के मलबे के नीचे से जीवित बचे लोगों को बाहर निकालने के लिए ‘व्हाइट हेल्मेट्स’ कड़ी मेहनत कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र के एक प्रमुख अधिकारी ने उत्तर पश्चिम में विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में सहायता पहुंचाने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा है कि राहत स्टॉक जल्द ही समाप्त हो जाएगा. संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट सीरिया समन्वयक एल-मुस्तफा बेनलामलिह ने एक साक्षात्कार में एएफपी से कहा, ‘राजनीति को एक तरफ रख दें और हमें अपना मानवीय कार्य करने दें.’ यह भूकंप तुर्किये में 1939 के बाद से सबसे विनाशकारी साबि​त हुआ है. साल 1939 में पूर्वी एरजिनकन प्रांत में आए भूकंप में 33,000 लोग मारे गए थे. वहीं 1999 में, 7.4 तीव्रता के भूकंप ने 17,000 से अधिक लोगों की जान ले ली थी.

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