नई दिल्ली: शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि यदि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को 39 विधायकों के खिलाफ लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने से नहीं रोका जाता तो शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ले पाते। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ संभवत: गुरुवार को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लेगी।
शिंदे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एनके कौल ने बहस की। और उन्होंने कहा कि कहा कि यदि नबाम रेबिया फैसला (स्पीकर के खिलाफ अयोग्यता का नोटिस होने पर उसका अयोग्य हो जाना) नहीं होता तो स्पीकर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले लेने के योग्य होता। यदि वह फैसला लेता तो सभी 39 विधायक जो बाहर चले गए थे, अयोग्य हो जाते और सरकार गिर जाती।
शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे-नीत नई सरकार का गठन सर्वोच्च अदालत के दो आदेशों का प्रत्यक्ष और अपरिहार्य नतीजा था, जिसने राज्य के न्यायिक और विधायी अंगों के बीच सह-समानता और परस्पर संतुलन को बिगाड़ दिया। ठाकरे धड़े ने कोर्ट से कहा था कि इन आदेशों में 27 जून, 2022 को विधानसभा अध्यक्ष को अयोग्यता संबंधी लंबित याचिकाओं पर फैसला करने की अनुमति नहीं देना और 29 जून, 2022 के आदेश में विश्वास मत की अनुमति देना शामिल हैं।
पिछले साल चार जुलाई को शिंदे ने राज्य विधानसभा में भाजपा और निर्दलियों के समर्थन से बहुमत साबित किया था और 288 सदस्यीय सदन में 164 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था, जबकि 99 ने इसके विरोध में मतदान किया था। सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी।