‘विकसित भारत संपर्क’ के बैनर तले केंद्र सरकार की ‘‘उपलब्धियों’’ को बताने वाले वॉट्सऐप मैसेज पर चुनाव आयोग ने लगाई रोक
नई दिल्ली : ‘विकसित भारत संपर्क’ के बैनर तले केंद्र सरकार की ‘‘उपलब्धियों’’ को बताने वाले वॉट्सऐप मैसेज पर चुनाव आयोग ने रोक लगा दी है। चुनाव आयोग को कई शिकायतें मिली थीं कि आम चुनाव 2024 की घोषणा और आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के लागू होने के बावजूद सरकार की उपलब्धियों वाले मैसेज अभी भी नागरिकों के फोन पर भेजे जा रहे हैं। इसके बाद चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) को निर्देश दिया कि वह इन वॉट्सऐप मैसेजेस पर तत्काल रोक लगाए।
बता दें कि ‘विकसित भारत संकल्प’ नाम के वेरीफाइड वॉट्सऐप अकाउंट से बड़ी संख्या में लोगों को पीएम मोदी का पत्र भेजा गया है। इसमें लिखा है, “यह पत्र प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की अगुवाई वाली भारत सरकार के विकसित भारत संपर्क केंद्र द्वारा भेजा गया है। पिछले दस सालों में भारत सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ देश के 80 करोड़ से ज्यादा नागरिकों को मिला है एवं भविष्य में भी मिलता रहेगा। विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए आपका साथ एवं आपका सुझाव बहुत महत्वपूर्ण है। अतः आपसे अनुरोध है कि योजनाओं को लेकर आपके विचार अवश्य लिखें।”
चुनाव आयोग से निर्देश मिलने के बाद MeitY ने आयोग को बताया कि यह पत्र आदर्श आचार संहिता के लागू होने से पहले भेजे गए थे। हालांकि उनमें से कुछ मैसेजेस सिस्टम और नेटवर्क की समस्याओं के कारण लोगों को देरी से डिलीवर हुए हैं। आयोग ने MeitY से इस मामले पर तुरंत अनुपालन रिपोर्ट सौंपने को कहा है। यह कदम समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए आयोग द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बीच आया है।
19 मार्च को चंडीगढ़ के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने ‘‘विकसित भारत संपर्क’’ के बैनर तले केंद्र सरकार की ‘‘उपलब्धियों’’ को प्रदर्शित करने वाले वॉट्सऐप संदेश बड़ी संख्या में भेजे जाने के संबंध में शिकायत को ‘‘उचित कार्रवाई’’ के लिए निर्वाचन आयोग के पास भेजा था। शिकायत की जांच के बाद जिला मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति ने आदर्श आचार संहिता के प्रथम दृष्टया उल्लंघन का सबूत पाया था। आदर्श आचार संहिता पिछले सप्ताह लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ लागू हो गई है। यह शिकायत पोल पैनल की ‘सीविजिल’ मोबाइल ऐप्लिकेशन के माध्यम से प्राप्त हुई थी और मामले पर आधिकारिक बयान में शिकायतकर्ता का उल्लेख नहीं था।