यूपी विधानसभा चुनावों (UP Assembly Election 2022) को टाले जाने को लेकर फैसला अगले सप्ताह के बाद लिया जाएगा. चुनाव आयोग (Election Commission) ने ये जानकारी दी है. इलाहबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) द्वारा चुनाव आयोग से विधानसभा चुनावों को स्थगित करने और चुनावी रैलियों और सभाओं को रोकने का आग्रह करने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्र ने कहा कि इस संबंध में फैसला अगले सप्ताह के बाद लिया जाएगा.
अगले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव अगले साल की शुरुआत में होने वाले हैं. लेकिन कोरोना से नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के मामले तेजी से सामने आने की वजह से चुनावों को स्थगित करने की मांग की जा रही है. मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने एएनआई से कहा कि अगले हफ्ते हम उत्तर प्रदेश जाएंगे और वहां की स्थिति की समीक्षा करेंगे. फिर एक उचित फैसला लेंगे.
इससे पहले दिन में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि चुनाव आयोग आदर्श आचार संहिता लागू करता है तो उसे ही राज्य चुनावों के संचालन पर फैसला करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब चुनाव आयोग आचार संहिता लगाता है तो उन्हें ही ये तय करना होता है कि चुनाव कब होंगे.
देश में ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे को देखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. तेजी से बढ़ रहे ओमिक्रॉन संक्रमण को रोकने के लिए राज्य सरकार ने नए दिशा निर्देश जारी किए हैं. इसके तहत प्रदेश में 25 दिसंबर रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लागू रहेगा. वहीं शादियों में 200 लोगों की ही इजाजत रहेगी. ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए सीएम योगी ने हाई-लेवल की टीम-9 को निर्देश दिए हैं.
उच्चस्तरीय टीम-9 को दिए गए निर्देशों के अनुसार बाजारों में “मास्क नहीं तो सामान नहीं” के संदेश के साथ व्यापारियों को जागरूक करें. बिना मास्क कोई भी दुकानदार ग्राहक को सामान न दे. सड़कों/बाजारों में हर किसी के लिए मास्क अनिवार्य किया जाए. पुलिस बल लगातार गश्त करे. पब्लिक एड्रेस सिस्टम को और प्रभावी बनाया जाए.
देश के किसी भी राज्य से अथवा विदेश से उत्तर प्रदेश की सीमा में आने वाले हर एक व्यक्ति की ट्रेसिंग-टेस्टिंग की जाएगी. बस, रेलवे और एयरपोर्ट पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जाए. तीसरी लहर के दृष्टिगत गांवों और शहरी वार्डों में निगरानी समितियों को पुनः एक्टिव करें. बाहर से आने वाले हर एक व्यक्ति की टेस्टिंग कराई जाए. साथ ही उनके स्वास्थ्य पर सतत नजर रखी जाए. आवश्यकतानुसार लोगों को क्वारंटीन किया जाए और अस्पतालों में भर्ती कराया जाए.