नई दिल्ली : भारत ने फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र महासभा का पूर्ण सदस्य बनने के पक्ष में मतदान (vote)किया है। भारत ने शुक्रवार को उस मसौदा पर मतदान किया जिसमें कहा गया है कि फिलिस्तीन यूएनजीए का पूर्ण सदस्य बनने के योग्य है और उसे सदस्यता दी जानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा के विशेष सत्र की सुबह आपातकालीन बैठक हुई, जहां मई महीने के लिए महासभा के अध्यक्ष संयुक्त अरब अमीरात ने वैश्विक संस्था में फिलिस्तीन की पूर्ण सदस्यता के समर्थन में अरब समूह का प्रस्ताव ‘संयुक्त राष्ट्र में नए सदस्यों का प्रवेश’ प्रस्तुत किया।
भारत समेत 143 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, विरोध में नौ वोट पड़े जबकि 25 सदस्य अनुपस्थित रहे। मतदान के बाद यूएनजीए भवन तालियों से गूंज उठा। प्रस्ताव में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 4 के अनुसार फिलिस्तीन संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के लिए योग्य है और इसलिए उसे सदस्यता दी जानी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि भारत 1974 में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन को फिलिस्तीनी लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब देश था। भारत 1988 में भी फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। इस महीने की शुरुआत में, संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र में सदस्यता के लिए फिलिस्तीन के आवेदन को यूएनएससी में वीटो के कारण सुरक्षा परिषद द्वारा मंजूरी नहीं दी गई थी। उन्होंने कहा, “भारत सबसे पहले देशों में है जिसने फिलिस्तीन के अस्थित्व को स्वीकारा है। हमें उम्मीद है कि उचित समय पर इस पर पुनर्विचार किया जाएगा और संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के फिलिस्तीन के प्रयास को समर्थन मिलेगा।”
प्रस्ताव के एक अनुबंध के अनुसार फिलिस्तीन की भागीदारी के अतिरिक्त अधिकार और विशेषाधिकार इस साल सितंबर में शुरू होने वाले महासभा के 79वें सत्र से प्रभावी होंगे। इनमें सदस्य देशों के बीच वर्णानुक्रम में बैठने का अधिकार शामिल है, प्रमुख समूहों के प्रतिनिधियों सहित किसी समूह की ओर से बयान देने का अधिकार, फिलिस्तीन देश के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को महासभा की पूर्ण बैठक और मुख्य समितियों में अधिकारियों के रूप में चुने जाने का अधिकार और संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और के तत्वावधान में बुलाई गई बैठकों में पूर्ण और प्रभावी भागीदारी का अधिकार शामिल है। बता दें अभी तक फिलिस्तीन को एक पर्यवेक्षक देश के रूप में महासभा में मतदान करने या संयुक्त राष्ट्र के अंगों के लिए अपनी उम्मीदवारी पेश करने का अधिकार नहीं है।