लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शिक्षा के सार्वभौमिकरण की दिशा में योगी सरकार द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। अब योगी सरकार ने शैक्षिक सत्र 2025-26 के लिए ‘स्कूल चलो अभियान’ की घोषणा कर दी है, जो पहली अप्रैल से प्रदेश भर में व्यापक स्तर पर संचालित होगा। सरकार ने इस अभियान के लिए प्रत्येक जिले को ₹2 लाख की धनराशि आवंटित करने का निर्णय लिया है। सरकार का लक्ष्य है कि 6 से 14 वर्ष के आयु वर्ग का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। इस अभियान के तहत शिक्षकों, अभिभावकों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों की सहभागिता से जागरूकता कार्यक्रम, रैलियां और मीडिया प्रचार किया जाएगा और स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के साथ छात्रों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी।
शिक्षा के सार्वभौमिकरण में ‘स्कूल चलो अभियान’ की यह है भूमिका
पिछले वर्षों में ‘स्कूल चलो अभियान’ ने शिक्षा के प्रसार में अहम भूमिका निभाई है। निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत इस अभियान का उद्देश्य 100% नामांकन, नियमित उपस्थिति और छात्रों का ठहराव सुनिश्चित करना है। इसी कड़ी में, 2025-26 में इस अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए राज्य सरकार ने सामुदायिक सहभागिता और डिजिटल प्रचार पर विशेष ध्यान देने का निर्णय लिया है।
बच्चों के नामांकन और बालिकाओं पर विशेष ध्यान
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में बच्चों के नामांकन को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया है। इस अभियान के संचालन की जिम्मेदारी निदेशक, बेसिक शिक्षा, उत्तर प्रदेश को दी गई है। अभियान के प्रचार-प्रसार के लिए समाचार पत्रों में निःशुल्क विज्ञापन, होर्डिंग, बैनर और वाल राइटिंग के माध्यम से जागरूकता फैलाने की योजना भी है। इसके साथ ही स्थानीय मीडिया, सोशल मीडिया, सिनेमाघरों और लोकल चैनलों के माध्यम से प्रचार का निर्णय लिया गया है। गांवों और कस्बों में रैली और प्रभात फेरी का आयोजन कर इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाया जाएगा।
प्रशासनिक स्तर से भी अभियान की सफलता की तैयारी
जिलाधिकारी के निर्देशन में मुख्य विकास अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी और ब्लॉक स्तरीय अधिकारी इस अभियान को सफल बनाने में सहयोग करेंगे। अभियान की शुरुआत से पहले ‘कैलेंडर ऑफ एक्टिविटीज’ तैयार किया गया है, जिससे सभी कार्यों की योजना और समय सीमा तय की गई है। अभिभावकों की भूमिका इस अभियान में महत्वपूर्ण होगी और स्थानीय समुदाय, विद्यालय प्रबंधन समिति और प्रभावशाली व्यक्तियों के माध्यम से अभिभावकों को जागरूक किया जाएगा। इसके अलावा, अभिभावकों की बैठक आयोजित कर उन्हें बच्चों को नियमित स्कूल भेजने के लिए प्रेरित भी किया जाएगा। विशेष ध्यान बालिकाओं के नामांकन पर दिया जाएगा और ‘मीना मंच’ के माध्यम से नाटकों और कहानियों के वाचन से उन्हें शिक्षा के प्रति प्रेरित किया जाएगा। शिक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे बच्चों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करें और इसके लिए अभिभावकों से संवाद करें।
‘आउट ऑफ स्कूल’ बच्चों का चिन्हांकन भी होगा
इस दौरान आउट ऑफ स्कूल बच्चों का चिन्हांकन भी किया जाएगा और उन्हें स्कूल में नामांकित किया जाएगा। यह सर्वे प्रत्येक गांव और वार्ड में किया जाएगा और इसका उद्देश्य हर बच्चे को स्कूल में शामिल करना होगा। मण्डल, जनपद और विकासखंड स्तर के अधिकारी गांवों का दौरा करेंगे और जनसमुदाय और अभिभावकों से संपर्क भी करेंगे। अभियान के नामांकन बढ़ाने के लिए विद्यालयवार लक्ष्य निर्धारित किया गया है और इसकी निगरानी की व्यवस्था भी की गई है। इसके लिए राज्य परियोजना कार्यालय, समग्र शिक्षा, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रत्येक जिले को ₹2 लाख की वित्तीय सहायता दी गई है।
‘हर गांव, हर गली, हर मोहल्ले में शिक्षा की ज्योति जलाने का है प्रयास’: संदीप सिंह
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह का कहना है कि योगी सरकार की यह पहल प्रदेश में शिक्षा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए एक अहम प्रयास है, जिससे बच्चों को न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी, बल्कि ड्रॉपआउट दर में भी कमी आएगी। सरकार का मानना है कि शिक्षा ही विकास की नींव है और इसी सोच के तहत ‘स्कूल चलो अभियान’ को 2025-26 में और व्यापक रूप से लागू किया गया है। प्रदेश सरकार के इस प्रयास से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के हर गांव, हर गली, हर मोहल्ले में शिक्षा की ज्योति जले और कोई भी बच्चा स्कूल से वंचित न रहे।