नई दिल्ली. मोदी सरकार की तरफ से किसानों की आर्थिक मजबूती के लिए लगातार कोशिशें की जा रही हैं. अब एग्रीकल्चर सेक्टर को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का बड़ा बयान आया है. गडकरी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए जीडीपी में कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों की हिस्सेदारी 24 प्रतिशत से ज्यादा होना जरूरी है. उन्होंने ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में तकनीक को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हमारी कृषि और संबद्ध क्षेत्र की आय सकल घरेलू उत्पाद का 12 प्रतिशत है. विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 22 से 24 प्रतिशत है और सेवा क्षेत्र का हिस्सा 52 से 54 प्रतिशत है. उन्होंने कहा जब तक कृषि और इससे संबंधित क्षेत्र की हिस्सेदारी 12 से बढ़कर 24 प्रतिशत से अधिक नहीं हो जाती, तब तक आत्मनिर्भर भारत बनाने में कठिनाइयां रहेंगी. गडकरी ने ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इससे गरीबी कम करने में मदद मिलेगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
उन्होंने कहा, ‘जब तक हम कुछ क्षेत्रों में पानी, परिवहन और संचार की सुविधाएं नहीं बढ़ाएंगे, तब तक उद्योग नहीं आएंगे.’ केंद्रीय मंत्री ने छात्रों को संबोधित करते हुए 1990 के दशक का एक किस्सा बताया. उन्होंने कहा जब मैं 1990 के दशक में महाराष्ट्र का पीडब्ल्यूडी मंत्री था तो मैंने पुणे-मुंबई एक्सप्रेसवे के लिए रिलायंस समूह की बोली को स्वीकार नहीं किया, जो सबसे कम थी. इसके बजाय एक सरकारी संस्था के जरिये 1,600 करोड़ रुपये में यह काम करवाया.
उन्होंने कहा कि रिलायंस ग्रुप की 3600 करोड़ की निविदा सबसे कम थी. नियमानुसार सबसे कम बोली लगाने वाले को काम दिया जाना चाहिए था. गडकरी के मुताबिक उनकी अंतरात्मा ने कहा कि यह काम 1800 करोड़ में हो सकता है और 3600 करोड़ रुपये ज्यादा है. मंत्री ने कहा कि इसके बाद महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम का गठन किया और दो साल में सड़क 1,600 करोड़ में बनकर तैयार हो गई.