नई दिल्ली : आयरन की कमी शरीर के लिए नुकसानदेह है लेकिन अगर आप ज्यादा मात्रा में ऐसे फूड्स ले रहे हैं जो आपके बॉडी में आयरन की मात्रा को बढ़ा रहे हैं। तो संभल जाएं, जरूरत से ज्यादा आयरन की मात्रा बॉडी में हार्मफुल इफेक्ट पैदा करने लगती हैं। दूसरे न्यूट्रिशन की तरह ही आयरन भी शरीर के लिए बेहद जरूरी है। आयरन ब्लड में हीमोग्लोबिन का जरूरी पार्ट है जो शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई में मदद करता है। बॉडी पार्ट्स को ठीक से काम करने के लिए आयरन जरूरी है। लेकिन ज्यादा मात्रा में आयरन बॉडी के लिए टॉक्सिक हो सकता है। बॉडी डाइजेशन ट्रैक की मदद से आयरन अब्जॉर्ब करती है। जिससे आयरन का लेवल कंट्रोल रहता है।
हेप्सीडिन नाम का हार्मोन आयरन को रेगुलेट करता है। और बॉडी में लेवल मेंटन करके रखता है।लेकिन जब हेप्सीडिन का लेवल बढ़ जाता है तो आयरन अब्जार्ब होने की मात्रा कम हो जाती है और शरीर में आयरन ज्यादा मात्रा में स्टोर होने लगता है। इसी तरह से जब हेप्सीडिन की मात्रा कम हो जाती है तो शरीर में आयरन का लेवल शरीर में कम हो जाता है। सामान्यतौर पर ये हार्मोंस सही काम करता है। लेकिन कुछ डिसऑर्डर की वजह से हेप्सीडिन का प्रोडक्शन बढ़ता है और शरीर में आयरन ज्यादा होने लगता है। जिसकी वजह से ये समस्याएं होने लगती हैं।
-अगर शरीर में अचानक से आयरन का लेवल बढ़ जाए तो ये सेल्स यानी कोशिकाओं को डैमेज करने लगता है।
-वहीं जरूरत से ज्यादा आयरन सप्लीमेंट्स लेने की वजह से डाइजेस्टिव प्रॉब्लम होने लगती है। खासतौर पर बच्चों के केस में ये ज्यादा देखा गया है।
-अगर लगातार लंबे समय तक आयरन की ज्यादा मात्रा खाई जाए तो इससे लीवर डैमेज होने लगता है।
-वहीं आयरन की ज्यादा मात्रा ब्रेन को भी डैमेज करने लगती है।
-शरीर में ज्यादा मात्रा में आयरन को हेमोक्रोमेटोसिस कहते हैं। जिसमे बॉडी ऑर्गंस और टिश्यू में आयरन बनने लगता है।
-इस बीमारी की वजह से आर्थराइटिस, कैंसर, डायबिटीज, हार्ट फेलियर और लीवर की प्रॉब्लम होने लगती हैं।
बॉडी में आयरन की मात्रा ज्यादा हो जाने पर इसे कम करने का कोई रास्ता नही है। बस शरीर से ज्यादा मात्रा में खून को निकाल देने से ये समस्या कम होती है।
जो लोग लगातार ब्लड डोनेट करते हैं, उन्हें हेमोक्रोमेटोसिस का खतरा कम रहता है।
स्टडीज में पता चला है कि रेड मीट और आयरन सप्लीमेंट्स की ज्यादा मात्रा की वजह से शरीर में कैंसर काजिंग एन-निट्रोसो कंपाउड पाचन तंत्र में बनने लगते हैं। जिसकी वजह से कोलन कैंसर का रिस्क रहता है।
इम्यून सिस्टम आयरन को हार्मफुल बैक्टीरिया को मारने के लिए यूज करता है। लेकिन जब शरीर में आयरन की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो उल्टा असर होता है और इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।