नई दिल्ली : भारत बड़ी मात्रा में कच्चे तेल का आयात करता है लेकिन कई देशों को पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स का निर्यात करता है। साल 2018-2019 और 2023-2024 के बीच भारत से यूरोप को पेट्रोलियम पदार्थों के एक्सपोर्ट में 253788% की तेजी आई है। कोरोना महामारी के कारण लॉजिस्टिक्स की दिक्कतों और उसके बाद यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण भारत से यूरोप को पेट्रोलियम के एक्सपोर्ट में तेजी आई। हालांकि वैल्यू टर्म में देखें तो इन देशों को भारत के एक्सपोर्ट में 250 फीसदी तेजी आई। थिंक टैंक जीटीआरआई (GTRI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल की पहली छमाही में 151 देशों के साथ भारत ट्रेड सरप्लस की स्थिति में रहा जबकि 75 देशों के साथ उसे घाटा हुआ।
मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के आंकड़ों के मुताबिक भारत जिन देशों को पेट्रोलियम एक्सपोर्ट करता है उनमें यूरोप के 15 से 17 देश टॉप 100 में शामिल हैं। 20181-19 में भारत का इन देशों को पेट्रोलियम एक्सपोर्ट 9,740.51 मीट्रिक टन था जो 2023-24 में बढ़कर 24.73 मिलियन मीट्रिक टन हो गया। वैल्यू टर्म में देखें तो 2018-19 में यह 5.9 अरब डॉलर का था जो 2023-24 में $20.5 अरब डॉलर पहुंच गया। इस दौरान भारत ने नीदरलैंड को पेट्रोलियम का सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट किया है। रोटरडम पोर्ट के कारण ऐसा हुओ जा यूरोप के अहम बाजारों के लिए हब है। यह यूरोप का सबसे बड़ा पोर्ट है।
भारत से पेट्रोलियम आयात करने वाले यूरोपीय देशों में नीदरलैंड के अलावा यूके, फ्रांस, रोमानिया, स्विट्जरलैंड, रूस, स्पेन, बेल्जियम, नॉर्वे, पोलैंड, बुल्गारिया, स्लोवेनिया, ग्रीस, यूक्रेन, जर्मनी, पुर्तगाल और फिनलैंड शामिल हैं। भारत यूरोप को सबसे ज्यादा रिफाइंड फ्यूल एक्सपोर्ट करने वाला देश बन गया है। भारत के बल्क डीजल बाजार में रिलायंस इंडस्ट्रीज और रूस की सरकारी तेल कंपनी रोजनेफ्ट के निवेश वाली कंपनी नयारा एनर्जी का दबदबा है। लेकिन रूस से भारी मात्रा से कच्चे तेल के आयात के कारण उसके साथ भारत का ट्रेड डेफिसिट भी बढ़ता जा रहा है।