नई दिल्ली: देशभर में हीटवेव से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ने से दहशत का माहौल है. इस बीच राजधानी दिल्ली के निगम बोध श्मशान घाट पर इस महीने हुए अंतिम संस्कारों की संख्या ने चिंता और बढ़ा दी है. एक जून से 20 जून दोपहर साढ़े 12 बजे तक तक निगम बोध श्मशान घाट पर 1200 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार हो चुका है. क्या ये मौसम की जानलेवा मार है? ये सबसे बड़ा सवाल है, क्योंकि अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है और इसमें हीटवेव से होने वाली मौतें भी शामिल हैं.
निगम बोध घाट पर हुए दाह संस्कार का पिछले एक हफ्ते का डाटा जो सामने आया है, वो चौंकाने वाला है. 14 जून को 43, 15 जून को 53, 16 जून को 70, 17 जून को 54, 18 जून को 97, 19 जून को 142, 20 जून को दोपहर साढ़े 12 बजे तक 35 शवों का अंतिम संस्कार हुआ. निगम बोध घाट की मुख्य प्रबंधक सुमन गुप्ता ने बताया कि श्मशान घाट पर व्यवस्था बढ़ानी पड़ी है. 10 एक्स्ट्रा स्टाफ जोड़े हैं. दबाव ज्यादा है, वॉलंटियर्स भी लगाए गए हैं. ठंडा पानी पीने की व्यवस्था की गई है. लकड़ी के काउंटर पर एक्स्ट्रा लोग लगाने पड़ रहे हैं. लोगों को असुविधा न हो, इसका भी ध्यान रखा जा रहा है.
प्रचंड गर्मी और हीटवेव के बीच दिल्ली के निगम बोध घाट पर एक दिन में बीते 19 जून को 142 शवों का अंतिम संस्कार किया गया, जो कोविड-19 महामारी के बाद सबसे अधिक है. कोविड के समय रिकॉर्ड एक दिन में 253 शवों का अंतिम संस्कार किया गया था. निगम बोध घाट की मुख्य प्रबंधक सुमन गुप्ता ने बताया कि घाट पर औसतन हर दिन 60 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. सर्दियों के दौरान शवों की संख्या 60 से 90 के बीच होती है. हालांकि, 19 जून को 142 शवों का अंतिम संस्कार किया गया, जो एक दिन में सबसे अधिक आंकड़ा है.
अचानक से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हीटवेव के मरीजों की संख्या बढ़ गई है. हीटवेव की वजह से पिछले 24 घंटे में 13 मरीजों की मौत हुई है. वहीं हीटवेव के 33 नए मरीज भर्ती हुए हैं. दिल्ली के केंद्रीय अस्पतालों में हीट वेव से संबंधित तैयारियों का जायजा लेने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तीन सदस्य बनाई गई है. ये टीम आज सुबह 11 बजे सबसे पहले सफदरजंग अस्पताल पहुंची, फिर राम मनोहर लोहिया और एम्स अस्पताल गई.
हीटवेव की स्थिति के बीच दिल्ली बनाए गए रैन बसेरों की हालात भी काफी खस्ता है. कई रैन बसेरों पर ताले लगे हुए हैं. दिल्ली के रिंग रोड पर एक रैन बसेरा सुविधाओं से लैस है. वहीं यमुना बाजार में बनाए गए 5 रैन बसेरे बंद पड़े हैं. पिछले साल बाढ़ के समय बंद हुए पांचों रैन बसेरे अब तक नहीं खोले गए हैं. जो लोग तपती गर्मी में इस रैन बसेरों की छांव में रहा करते थे, अब उन्हें खुले में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है.
वहीं दिल्ली-NCR के गाजियाबाद में हालात चिंताजनक हैं. हिंडन श्मशान घाट पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए लंबी-लंबी कतारे लगी हैं. हिंडन श्मशान घाट के पंडित मनीष ने बताया कि पिछले तीन दिनों से रोजना 35 से 40 शवों का अंतिम संस्कार करवाया जा रहा है. रोजाना यहां स्थिति संभालने के लिए गाजियाबाद पुलिस-प्रशासन का सहारा भी लेना पड़ रहा है. अंतिम संस्कार के लिए शवों की लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं. धीरे-धीरे व्यवस्था संभाली जा रही है. नंबर से शवों का अंतिम संस्कार करवाया जा रहा है. रोजाना 5 से 6 अज्ञात शवों का भी अंतिम संस्कार किया जा रहा है. कोरोना काल में भी इतने अज्ञात शव नहीं आते थे, मगर पिछले तीन दिनों से ज्यादा शव आ रहे हैं.
हीटवेव से दिल्ली-NCR के नोएडा का हाल भी बुरा है. यहां पोस्टमार्टम हाउस में लाशों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं. पिछले तीन दिन में नोएडा में 75 लाशें पोस्टमार्टम के लिए पहुंचीं. इनमें से कई लाशें ऐसी थीं, जो सड़क पर लावारिस मिलीं. इनकी पहचान भी नहीं हो सकी. कोई पार्क में पड़ा हुआ मिला तो कोई सड़क पर पड़ा हुआ मिला. आशंका जताई जा रही है कि गर्मी और हीटवेव की वजह से इनमें से कई लोगों की मौत हुई होगी.
नोएडा के अस्पताल का आलम यह है कि पोस्टमार्टम हाउस में नीचें जमीन पर लाशें ही लाशें पड़ी हुई हैं. मृतकों के परिजनों का आरोप है कि तीन दिन बीत जाने के बाद भी पोस्टमार्टम नहीं हो पा रहा है. गर्मी में लाशें सड़ रही हैं. भयानक बदबू आ रही है, लेकिन लाशों की संख्या अचानक से तेजी से बढ़ जाने के कारण पोस्टमार्टम करने में भी कई-कई दिन का इंतजार करना पड़ रहा है.