पटना: बिहार में 12 फरवरी को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार सदन में अपना विश्वास मत हासिल करेगी। इस बीच कांग्रेस में खलबली मची हुई है। सूत्रों के अनुसार राज्य में फ्लोर टेस्ट को देखते हुए पार्टी को विधायकों के टूटने डर सता रहा है। इस बीच कांग्रेस के सभी विधायक हैदराबाद के लिए रवाना हो गए हैं।
इससे पहले कांग्रेस विधायकों की किसी संभावित टूट को रोकने के लिए पार्टी आलाकमान ने नई रणनीति तय की। बदली परिस्थिति में बिहार विधानसभा में नई एनडीए सरकार के विश्वासमत हासिल करने का कार्यक्रम तय होते ही कांग्रेस ने अपने विधायकों को दिल्ली बुला लिया। शनिवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिल्ली पहुंचने वाले सभी विधायकों के साथ बैठक की। वहीं रविवार को हुए कांग्रेस आलाकमान की अहम बैठक के दौरान पार्टी को एकजुट रखने और किसी प्रकार की टूट से बचाने को लेकर बिहार के कांग्रेसी विधायकों को अब दिल्ली से हैदराबाद भेजा जा रहा है। अब कांग्रेस के विधायक बिहार विधानसभा के सत्र आरंभ होने के समय ही पटना पहुंचेंगे। वे फ्लोर टेस्ट में एनडीए सरकार के विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट करेंगे।
बिहार में कांग्रेस के 19 विधायक हैं। इनमें से 12 विधायक खांटी कांग्रेसी हैं। दलबदल में विधायकी कायम रखते हुए 13 का टूटना जरूरी होगा। सामने लोकसभा का चुनाव है। एनडीए गठबंधन लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका देने के साथ ही मंत्री पद का लोभ भी कांग्रेस विधायकों को दे सकता है। तेजस्वी यादव ने पहले ही कह दिया है कि खेला तो बिहार में अब शुरू होगा। दूसरी तरफ एनडीए घटक दल हम पार्टी के सुप्रीमो जीतन राम मांझी एक और मंत्री पद की मांग कर चुके हैं। वे आगे कुछ भी फैसला ले सकते हैं। इसलिए एनडीए की नजर महागठबंधन की पार्टियों पर है।