नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने कुछ जरूरी अनाजों की सूची ट्वीट कर उनसे से जीएसटी हटाने की जानकारी दी है। वित्तमंत्री ने लिस्ट को ट्वीट करते हुए लिखा है कि इन खाद्य पदार्थों को खुले में बेचने पर उन पर किसी भी तरह का जीएसटी चार्ज नहीं लगेगा। वित्तमंत्री ने जो लिस्ट ट्वीट की है में दाल, गेहूं, राई, ओट्स, मकई, चावल, आटा, सूजी, बेसन, मूढ़ी और लस्सी जैसी चीजें शामिल है।
वित्तमंत्री ने अपने ट्वीट में यह भी कहा है कि इन चीजों पर किसी भी तरह का जीएसटी नहीं लगेगा अगर ये बिना पैकिंग या लेबल के बेचे जा रहे हों। अगर इन चीजों को लेबल के साथ बेचा जाता है तो इन पर पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी चार्ज किया जाएगा। वित्तमंत्री ने यह भी कहा है कि खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगाने का फैसला किसी एक व्यक्ति ने नहीं बल्कि पूरी जीएसटी काउंसिल ने मिलकर एक प्रक्रिया के तहत लिया है। उन्होंने यह भी बताया है कि जीएसटी काउंसिल की मीटिंग के दौरान गैर भाजपा शासित राज्यों पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल ने भी पांच प्रतिशत लेवी लगाने पर सहमति व्यक्त की थी।
वित्तमंत्री ने एक के बाद एक किए गए अपने ट्वीट 14 ट्वीट में कहा है कि टैक्स लीकेज को रोकने के लिए यह फैसला बेहद जरूरी था। अधिकारियों और मंत्रियों ने सामूहिक रूप से विभिन्न स्तरों पर इस फैसले पर विचार किया और अंततः सभी सदस्यों की पूर्ण सहमति के साथ जीएसटी परिषद ने इसकी सिफारिश कर दी है।
वित्तमंत्री ने बताया है कि यह फैसला जीएसटी काउंसिल के जिस ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने लिया है उनमें पश्चिम बंगाल, राजस्थान, केरल, उत्तर प्रदेश, गोवा और बिहार के सदस्य शामिल थे। इस जीओएम की अध्यक्षता कर्नाटक के मुख्यमंत्री कर रहे थे।
वित्तमंत्री ने अपने ट्वीट में कहा है कि बीते दिनों हुई जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक में दालों, अनाजों और आटा पर विशेष परिस्थितियों में जीएसटी लगाने का फैसला लिया गया था। पर, इस संबंध में तरह-तरह की भ्रांतियां फैल रही थी, इसे दूर करने के लिए ही इस लिस्ट को शेयर किया जा रहा है। वित्त मंत्री ने एक के बाद एक किए गए अपने ट्वीट में यह भी कहा है कि यह कहना कि पहली बार खाद्य पदार्थों पर टैक्स लगाया जा रहा है, यह बात गलत है। सच्चाई यह है कि जीएसटी कानून लागू होने से पहले भी कई राज्य खाद्य पदार्थों पर टैक्स लगाकर राजस्व की आमदनी कर रहे थे। सिर्फ पंजाब ने ही उस दौरान खाद्य पदार्थों पर टैक्स लगाकर 2000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया था। उत्तर प्रदेश में भी उस दौरान खाद्य पदार्थों पर टैक्स लगाकर 700 करोड़ रुपये का राजस्व इकट्ठा किया गया था।
वित्तमंत्री ने अपने ट्वीट में यह भी कहा है कि साल 2017 से पहले पंजाब, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल और बिहार जैसे राज्यों में चावल पर भी वैट (Value Aded Tax) लगाया गया था।