नागपुर. महाराष्ट्र शीत सत्र अधिवेशन के दौरान किए गए काम की भुगतान राशि में तत्कालीन विभागीय उप अभियंता ने घपला किया। रिकॉर्ड में काम के भुगतान की एंट्री नहीं करते हुए 42 लाख रुपये का गबन कर लिया। 13 वर्ष पहले हुए इस घोटाले की शिकायत अब पुलिस विभाग से की गई है। पुलिस ने सिडको कॉलोनी, छत्रपति संभाजीनगर निवासी तोलीराम फूलाजी राठोड़ के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
राठोड़ सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग क्र. 1 में विभागीय उप अभियंता पद से निवृत्त हैं। 25 अगस्त से 7 जून, 2011 तक राठोड़ पीडब्ल्यूडी के विभागीय कार्यालय में कार्यरत थे। दिसंबर 2009 में नागपुर में हुए शीत सत्र अधिवेशन के दौरान मजदूरों से विविध प्रकार के काम करवाए गए जिसकी राशि 3 टप्पों में जारी की गई थी।
पहले टप्पे में 24 लाख, दूसरे में 2.49 लाख और तीसरे टप्पे में 17 लाख रुपये की राशि मजदूरों के लिए मंजूर की गई थी। इस रकम के चेक राठोड़ ने सरकार से प्राप्त किए लेकिन मजदूरों को पेमेंट नहीं किया। विभाग के रिकॉर्ड में मजदूरों को 42 लाख रुपये का भुगतान करने की एंट्री की गई। वर्ष 2011 में दक्षता व गुणवत्ता नियंत्रण समिति द्वारा की गई जांच में यह घोटाला सामने आया। इसके बाद विभागीय जांच कर उन्हें निलंबित कर दिया गया। समिति ने जांच में राठोड़ को दोषी करार दिया और उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी।
शुक्रवार को पीडब्ल्यूडी के कनिष्ठ अभियंता सचिन रामदास भोंगले ने प्रकरण की लिखित शिकायत सदर पुलिस से की। पुलिस ने हेराफेरी का मामला दर्ज कर जांच आरंभ की है। अब सवाल यह उठता है कि विभाग ने पुलिस से शिकायत करने में 13 वर्ष क्यों लगा दिए। यदि वर्ष 2011 में ही यह घोटाला सामने आया था तो तब पुलिस से शिकायत क्यों नहीं की गई। बताया जाता है कि राठोड़ ने गबन की गई रकम से छत्रपति संभाजीनगर में कई प्लॉट खरीदे थे। अब इन प्लॉट्स की कीमत करोड़ों में है।