विदेश मंत्री जयशंकर आज से 6 दिनी अमेरिकी यात्रा पर, ट्रंप की ताजपोशी से पहले इन मुद्दों पर होगी चर्चा
नई दिल्ली/वॉशिंगटन। विदेश मंत्री एस जयशंकर (Foreign Minister S Jaishankar) मंगलवार को 24 से 29 दिसंबर तक अमेरिका की छह दिवसीय यात्रा (Six day trip America) पर जा रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद और ट्रंप की ताजपोशी से पहले यह भारत (India) की ओर से अमेरिका की पहली उच्च स्तरीय यात्रा है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि विदेश मंत्री छह दिवसीय दौरे में प्रमुख द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अपने अमेरिकी समकक्षों से मिलेंगे। इसके अलावा वह अमेरिका में भारत के महावाणिज्य दूतों के सम्मेलन की भी अध्यक्षता करेंगे।
जयशंकर अपने अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) और अन्य अधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे, जो नई दिल्ली और निवर्तमान बाइडेन प्रशासन के बीच अंतिम मुलाकात हो सकती है। हालांकि, अभी यह पता नहीं चल सका है कि विदेश मंत्री ट्रंप खेमे के किसी अधिकारी से मिलेंगे या नहीं। रिपब्लिकन नेता 20 जनवरी को दूसरे कार्यकाल के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।
5 दिसंबर को जयशंकर ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा था कि ट्रंप का भारत के प्रति सकारात्मक राजनीतिक दृष्टिकोण रहा है और भारत उनके प्रशासन के साथ गहरे संबंध बनाने के लिए कई अन्य देशों की तुलना में अधिक लाभप्रद स्थिति में है। इसके साथ ही, जयशंकर ने कहा कि कई अन्य देशों की तरह, भारत के पास भी कुछ मुद्दे हो सकते हैं और वह उनसे निपटेगा। 2017 से 2021 तक अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान भारत-अमेरिका संबंधों में बड़ी तेजी देखी गई थी।
उच्च प्रौद्योगिकी और रक्षा सहित विविध क्षेत्रों में बाइडेन प्रशासन के तहत भी दोनों देशों के बीच संबंधों का विस्तार हुआ है। ऐसे में माना जा रहा है कि एस जयशंकर की छह दिवसीय यात्रा दोनों देशों के लिए काफी अहम है क्योंकि एक तरफ बाइडेन सरकार की विदाई का वक्त है तो दूसरी तरफ ट्रंप सरकार के आगमन का समय है। बता दें कि द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार करने के लिए शुरू किए गए सबसे महत्वपूर्ण कदमों में से एक महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकी पर यूएस-इंडिया की iCET पहल है। iCET को मई 2022 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में भारत और अमेरिका के बीच अधिक सहयोग बनाने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था।
इसके अलावा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में भी बड़ा विस्तार हुआ है। अक्टूबर में, भारत ने विदेशी सैन्य बिक्री मार्ग के तहत अमेरिकी रक्षा प्रमुख जनरल एटॉमिक्स से 31 प्रीडेटर लॉन्ग-एंड्योरेंस ड्रोन खरीदने के लिए अमेरिका के साथ एक बड़ा सौदा किया है, जिसकी लागत लगभग 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। भारत चीन के साथ विवादित सीमाओं पर अपनी सेना की युद्धक क्षमता को बढ़ाने के लिए ड्रोन खरीद रहा है।
नौसेना को जहां 15 सी गार्जियन ड्रोन मिलेंगे, वहीं भारतीय वायु सेना और थल सेना को आठ-आठ स्काई गार्जियन ड्रोन मिलेंगे। ये ऊंचाई वाले लॉन्ग-एंड्योरेंस ड्रोन हैं, जो 35 घंटे से अधिक समय तक हवा में रहने में सक्षम हैं और चार हेलफायर मिसाइल और लगभग 450 किलोग्राम बम ले जा सकते हैं। सी गार्जियन ड्रोन इसलिए खरीदे जा रहे हैं क्योंकि वे समुद्री निगरानी, पनडुब्बी रोधी युद्ध और ओवर-द-हॉरिजन टारगेटिंग सहित कई तरह की भूमिकाएं निभा सकते हैं।