पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल की सजा पूरी, पूर्व कैबिनेट सहयोगियों के साथ टेका स्वर्ण मंदिर में मत्था

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अमृतसरः पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने शुक्रवार को अपनी धार्मिक सजा पूरी करने के बाद स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका। बादल कड़ी सुरक्षा के बीच अपने पूर्व कैबिनेट सहयोगियों के साथ स्वर्ण मंदिर पहुंचे। पैर में ‘फ्रैक्चर’ होने के कारण वह व्हीलचेयर पर बैठे थे। सुबह से ही स्वर्ण मंदिर परिसर के पास भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। 2 दिसंबर को सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त ने पंजाब में 2007 से 2017 तक शिरोमणि अकाली दल और उसकी सरकार द्वारा की गई ‘‘गलतियों” के लिए सुखबीर सिंह बादल (62) की ‘तनखा’ (धार्मिक सजा) का ऐलान किया था और उन्हें ‘सेवादार’ के तौर पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में बर्तन और जूते साफ करने का आदेश दिया था।

धार्मिक सजा के तहत बादल को तख्त केसगढ़ साहिब, तख्त दमदमा साहिब, मुक्तसर के दरबार साहिब और फतेहगढ़ साहिब में भी दो दिन के लिए ‘सेवादार’ की भूमिका में काम करने का निर्देश दिया गया था। बादल को ‘कीर्तन’ सुनने के अलावा स्वर्ण मंदिर में एक घंटा श्रद्धालुओं के बर्तन और जूते साफ करने के लिए भी कहा गया था। सजा के दूसरे दिन यानी चार दिसंबर को बादल पर पूर्व आतंकवादी नारायण सिंह चौरा ने उस समय गोली चलाने का प्रयास किया जब वह स्वर्ण मंदिर के बाहर ‘सेवादार’ के रूप में सेवाएं दे रहे थे। इस दौरान सादा वर्दी में मौजूद एक पुलिसकर्मी द्वारा आरोपी को काबू में किए जाने से उसका निशाना चूक गया और बादल बाल-बाल बच गए।

सुखबीर बादल पर आरोप है कि उन्होंने 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले में दोषियों को सजा नहीं दी और 2007 में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को माफी दिलाने में मदद की थी। 2007 में जब पंजाब में अकाली दल की सरकार थी, तब गुरमीत राम रहीम पर आरोप लगा कि उसने गुरु गोबिंद सिंह जी जैसे कपड़े पहनकर अमृत पिलाने का नाटक किया था। इस मामले को लेकर उसके खिलाफ केस दर्ज हुआ था। लेकिन बादल सरकार ने यह केस वापस ले लिया था।

 

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