नई दिल्ली : फ्रांसीसी नौसेना का परमाणु हथियारों से लैस युद्धपोत चार्ल्स डी गॉल और उसका पूरा कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG) आज से गोवा और कोच्चि का दौरा करेगा। यह CSG ग्रुप मिशन क्लेमेंस्यू 25 के तहत आज यानी शनिवार को गोवा और कोच्चि के बंदरगाह पर पहुंचेगा। इसे भारत-फ्रांस के बीच मजबूत होती रक्षा साझेदारी और रणनीतिक संबंधों का शक्तिशाली प्रदर्शन भी माना जा रहा है।
फिलहाल यह फ्रांसीसी सीएसजी हिंद महासागर में तैनात है जहां वह भारत समेत अपने क्षेत्रीय भागीदारों और सहयोगियों के साथ संयुक्त प्रशिक्षण सत्र आयोजित कर रहा है। वहीं भारत 1998 से फ्रांस का प्रमुख रणनीतिक साझेदार रहा है। जानकारी दें कि, कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG) एक विशाल नौसैनिक बेड़े को कहते हैं, जिसमें एक विमानवाहक पोत, बड़ी संख्या में विध्वंसक, फ्रिगेट और अन्य जहाज होते हैं।
इस बाबत फ्रांसीसी दूतावास ने कहा था कि मिशन ‘क्लेमेंसेयू’ 25 के तहत हिंद महासागर में तैनात फ्रांसीसी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप में विमानवाहक चार्ल्स डी गॉल, हवाई बेड़े और एस्कॉर्ट जहाज (फ्रिगेट व आपूर्ति जहाज) शामिल हैं। दूतावास ने कहा था कि यह सीएसजी चार जनवरी से गोवा और कोच्चि की यात्रा करेगा। फसहाल यह भारत समेत क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ संयुक्त प्रशिक्षण कर रहा है। इसके बाद यह ला पेरोस अभ्यास के लिए इंडोनेशियाई क्षेत्र और फिर प्रशांत महासागर में पैसिफिक स्टेलर अभ्यास के लिए जाएगा।
जानकारी दें कि, इस नौसैनिक वायु प्रशिक्षण का उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता विकसित करना और वायु, सतह और पनडुब्बी के क्षेत्रों में बहु-परिवेशीय खतरे से निपटने के लिए चालक दल तत्पर और तैयार करना है। यह बी बता दें कि, भारत 1998 से फ्रांस का सबसे प्रमुख रणनीतिक साझेदार भी रहा है और उत्कृष्ट भारत-फ्रांस सैन्य सहयोग की विशेषता कई द्विपक्षीय अभ्यास जैसे कि जमीन पर शक्ति, समुद्र में वरुण और हवा में गरुड़ भी रहे हैं।
वहीं इसके पहले भारत ने फ्रांसीसी नौसेना के जहाजों द्वारा किए गए कई परिचालन स्टॉपओवर की मेजबानी भी कर चुका है। यह 2022 से 16 बंदरगाह कॉल हैं। हिंद महासागर से जुड़े राष्ट्रों के रूप में भारत और फ्रांस नियमित रूप से समुद्री सुरक्षा में योगदान देने के लिए सहयोग करते हैं।