बीजिंग : भारत (India) इस बार जी20 की अध्यक्षता कर रहा है और इसे भव्य बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता। इसी कड़ी में भारत कश्मीर के श्रीनगर में 22 से 14 मई तक जी20 की बैठक का आयोजन करने जा रहा है। भारत के इस आयोजन से चीन (China) को मिर्ची लगी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि चीन विवादित क्षेत्र पर किसी भी प्रकार की जी20 बैठक आयोजित करने का दृढ़ता से विरोध करता है। हम ऐसी बैठकों में शामिल नहीं होंगे।
चीन पाकिस्तान का करीबी सहयोगी है। इससे पहले पाकिस्तान भी श्रीनगर में होने वाली बैठक पर कहा था कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का उल्लंघन है। जम्मू और कश्मीर के अपने अवैध कब्जे को बनाए रखने के लिए भारत का गैर-जिम्मेदाराना कदम है।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को कहा कि श्रीनगर में जी-20 बैठक जम्मू कश्मीर के लिए अपनी वास्तविक क्षमता दिखाने का एक बड़ा अवसर है। सिंह ने कहा कि श्रीनगर में इस तरह के अंतरराष्ट्रीय आयोजन से देश और दुनिया भर में सकारात्मक संदेश जाएगा।
इससे पहले भी पाकिस्तान और चीन ने पूर्व में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के बारे में अवांछित टिप्पणियां की हैं। भारत पहले भी जम्मू कश्मीर पर चीन और पाकिस्तान के बयानों को खारिज कर चुका है।
भारत और चीन के बीच तीन साल से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध है। जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भीषण झड़प के बाद द्विपक्षीय संबंधों काफी तनाव उत्पन्न हो गया। भारत ने कहा है कि जब तक सीमा क्षेत्र में शांति नहीं होगी तब तक द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि जी 20 बैठक जम्मू कश्मीर की जीवंत संस्कृति, परंपराएं और पर्यटन क्षमता को प्रदर्शित करने का सुनहरा अवसर है। 20 बैठक सभी नागरिकों से जुड़ी हुई है और लोगों को इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने सिविल सोसायटी के सदस्यों से आग्रह किया कि वह इस अवसर का लाभ उठाएं और नागरिकों, पर्यटन और उद्योग क्षेत्र के हितधारकों को प्रोत्साहित करें ताकि जी 20 बैठक की सफलता सुनिश्चित हो।