आम जनता को महंगाई से मिलेगी राहत! केन्द्र सरकार ला रही विशेष बॉन्ड योजना

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नई दिल्ली : केंद्र सरकार आम जनता को महंगाई (Inflation) से लड़ने में मददगार और सुरक्षित निवेश (Safe Investment.) का विकल्प देने के लिए एक विशेष बॉन्ड (Special Bond) लाने पर विचार कर रही है। बॉन्ड योजना दो तरह से काम करेगी, यह न केवल महंगाई से राहत देगी बल्कि लोगों को वित्तीय सुरक्षा देना भी मुहैया करवाएगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, यह बचत योजना एक ऐसे बॉन्ड पर आधारित होगी जिसमें ब्याज दरें औसत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी महंगाई दर से ज्यादा होंगी। खबरों के मुताबिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसे आगामी बजट में एक अहम पहल के तौर पर पेश कर सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच इस बॉन्ड को लेकर विचार-विमर्श हो चुका है।

जानकारी के मुताबिक यह योजना राष्ट्रीय बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट द्वारा लाई जा सकती है। इस संस्था को सरकार का समर्थन प्राप्त है और यह बाजार से पूंजी जुटाने के लिए विभिन्न प्रकार के बॉन्ड जारी करने का अधिकार रखती है।

खबरों के अनुसार नया प्रस्तावित बॉन्ड मुद्रास्फीति से राहत देने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। इसकी ब्याज दर वर्तमान मुद्रास्फीति दर से अधिक होंगी। अक्तूबर में खुदरा महंगाई दर 6.21 फीसदी रही हैं वहीं, नवंबर में इसमें उतार देखा गया है। पिछले कुछ महीनों में महंगाई की वजह खाद्य वस्तुओं, विशेषकर सब्जियों की कीमतों में बढ़ती कीमतें रहीं हैं।

सूत्रों के अनुसार, इस कदम का उद्देश्य यह है कि लंबे समय तक बचत करने के लिए उपलब्ध विकल्प कम हो गए हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा कर बचत वाले बॉन्ड जारी करना बंद होने के कारण अब सिर्फ छोटे बचत विकल्प जैसे पीपीएक, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना और डाकघर योजनाएं ही खुली हैं।

आरबीआई राहत बॉन्ड और राज्य-स्वामित्व वाली कंपनियों द्वारा जारी किए गए दूसरे लंबी अवधि के बॉन्ड्स भी इसी तरह की योजनाएं हैं, जिनकी मियाद अब पूरी हो चुकी है या जिन्हें बंद कर दिया गया है। पहले ये बॉन्ड कर-मुक्त होते थे, लेकिन अब नई कर व्यवस्था के कारण यह संभव नहीं है, क्योंकि अब सभी छूट खत्म हो चुकी हैं।

जानकारों का कहना है कि महंगाई आपकी धनराशि की क्रयशक्ति को प्रभावित करती है। निवेश ऐसा होना चाहिए जो महंगाई दर को पार कर सके। महंगाई का मतलब है समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में सामान्य वृद्धि, जिससे धन की खरीदने की शक्ति घटती है।

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