टीचर्स के सामने लड़की के कपड़े उतरवाकर ली गई तलाशी, 14 साल की मासूम ने की आत्महत्या

0 158

बेंगलुरु: कर्नाटक के बागलकोट में 14 साल की बच्ची ने फांसी लगा ली। वह स्कूल में हुए अपने अपमान से दुखी थी। जिस स्कूल में वह शान से पढ़ती थी, वहां के टीचरों ने ही उसके सपने छीन लिए। बच्ची पर स्कूल में 2 हजार रुपये चोरी का इल्जाम लगा दिया। उससे दुर्गा मंदिर में कसम खिलाई गई। इससे भी जी नहीं भरा तो कपड़े उतारकर तलाशी ली गई। रुपये तो नहीं मिले मगर लोगों के बीच निर्वस्त्र होते ही बच्ची के मन क्षुब्ध हो गया। यह कैसी अनहोनी थी, जिंदगी में हौसला का पाठ सिखाने वाले टीचरों ने जीने की उम्मीद छीन ली। चोरी के आरोप और निर्वस्त्र होने पर जगहंसाई सदमा इस कदर लगा कि उसने घर में आत्महत्या कर ली।

बागलकोट की घटना ने उन अभिभावकों के लिए चिंता पैदा कर दी है, जिनके स्कूल जाने वाले बच्चे बड़े हो रहे हैं। अपने आसपास की दुनिया को देखकर अपने भविष्य के सपने गढ़ रहे हैं। 14-15 साल की उम्र का किशोर मन में दुनियादारी के लिए सवाल भरे पड़े हैं। घर में मां-बाप के साथ स्कूल के टीचर भी उन्हें अनुशासन के साथ जिम्मेदार बनाने पर तुले हैं, मगर यह नहीं जानना चाहते कि उनके कोमल मन में क्या चल रहा है? बड़े हो रहे बच्चे समाज के ताने-बाने में गर्व, शर्म, लोकलाज को समझ रहे होते हैं।

एक थप्पड़ और डांट उनके दिलोदिमाग में बसी रंगभरी दुनिया को काली बना सकती है। एग्जाम रिजल्ट के दौर में किशोरों की आत्महत्या की खबरें आती हैं। एग्जाम, मार्क्स के प्रेशर के दौर में बच्चों को किस-किस से बचाएं और बचाएगा कौन? हम गौर करें, जिस समाज में बच्चे पल रहे हैं, उनमें बच्चों और किशोरों की मन की बात सुनने का वक्त किसके पास है? अगर किशोर कुछ हासिल कर लें तो उनकी तारीफ का दायरा छोटा होता है। जब किसी के साथ बुरा होता है तो बदनामी हवा के साथ मीलों यात्रा कर लेती है। बदनामी का डर अच्छे-अच्छे समझदारों को बैकफुट पर ला देता है, कर्नाटक में जान देने वाली बच्ची तो अभी दुनियादारी सीख ही रही थी।

14 साल की बच्ची की आत्महत्या के लिए कौन जिम्मेदार है? चोरी का आरोप लगाने वाला लैंग्वेज टीचर या बच्ची को मंदिर में कसम खिलाने वाला प्रिंसिपल। कपड़े उतरवाने वाले टीचर या वे लोग, जो चुपचाप पूरी घटना को देखते रहे। ऐसे अभिभावक को जिम्मेदार नहीं माना जाना चाहिए, जिन्होंने घटना के बाद स्कूल में अपना विरोध दर्ज नहीं कराया। उस स्कूल में लड़की की बड़ी बहन भी पढ़ती है, उसने ही घर में पूरा वाकया सुनाया।

परिजनों ने पुलिस को बताया कि घटना के बाद से ही बच्ची गुमसुम रहने लगी थी। सार्वजनिक अपमान से दुखी होकर वह स्कूल नहीं गई। बागलकोट के एसपी अमरनाथ रेड्डी ने बताया कि पुलिस ने उसकी मौत की परिस्थितियों के बारे में सुनने के बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच शुरू की। बागलकोट में सार्वजनिक शिक्षा के उप निदेशक इस केस में खामोश हैं। पुलिस ने आरोपी टीचर को गिरफ्तार कर लिया है मगर यह केस कई सवाल छोड़ गया है।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.