नई दिल्ली: देश में खाद्य महंगाई का लगातार 8% की दर के आसपास बना रहना भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से लेकर सरकार तक के लिए चिंता का सबब बन चुका है. इसलिए अब सरकार ने इस पर कड़ा प्रहार करते हुए बड़ा फैसला किया है और गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगा दी है. गेहूं स्टोरेज की ये नई लिमिट सोमवार से ही लागू हो गई है. गेहूं की जमाखोरी रोकने के लिए केंद्र सरकार ये स्टॉक लिमिट लगाई है. सरकार को उम्मीद है कि उसके इस कदम से व्यापारी खुले बाजार में गेहूं बेचने के लिए मजबूर होंगे. इससे गेहूं से लेकर आटे तक की कीमतें नीचे आएंगी.
नई स्टॉक लिमिट के हिसाब से अब थोक व्यापारी 3000 टन और खुदरा व्यापारी अधिकतम 10 टन गेहूं का ही स्टॉक रख सकेगा. सरकार को गेंहू की जमाखोरी होने की आशंका थी, इसलिए इस लिमिट को लगाया गया है. वहीं व्यापारियों को 30 दिन के अंदर नई लिमिट के हिसाब से अपना स्टॉक मेंटेन करना होगा. थोक विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा 3,000 टन होगी, जबकि प्रोसेसर के लिए यह उनकी प्रोसेसिंग क्षमता का 70 प्रतिशत होगी.
रिटेल चेन वाले रिटेलर्स के लिए यह सीमा 10 टन प्रति स्टोर होगी, जो अधिकमतम 3,000 टन होगी. वहीं सिंगल रिटेलर्स के लिए यह सीमा 10 टन की होगी. केंद्र सरकार ने गेहूं पर जो स्टॉक लिमिट लगाई है वह 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगी. गेहूं की बढ़ती कीमतों से चिंतित सरकार ने महंगाई को नियंत्रण में लाने के लिए ये स्टॉक लिमिट लगाई है. गेहूं की कीमतें कम करने के लिए सरकार ने सभी विकल्प खुले रखे हैं. पिछले 1 साल में गेहूं की कीमतों में करीब 5.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी कई है.
संभावना है कि गेहूं की कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए सरकार गेहूं पर आयात ड्यूटी में भी कटौती कर दे. अभी देश में गेहूं के इंपोर्ट पर 40% ड्यूटी लगती है. सरकार के इस फैसले पर केंद्रीय खाद्य सचिव ने कहा कि सिंगल रिटेलर से लेकर बड़ी रिटेल चेन चलाने वाले कारोबारी, मिल मालिक, प्रोसेसर और थोक विक्रेताओं को अपने गेहूं स्टॉक का खुलासा करना होगा.
साथ ही कहा, कि वह देश में गेहूं की कमी को दूर करना चाहते है. अभी गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध है और चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध की समीक्षा करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. सरकार चाहती है कि गेहूं की कीमतें स्थिर रहें. देश में 1 अप्रैल 2023 को गेहूं का शुरुआती स्टॉक 82 लाख टन था, जबकि 1 अप्रैल 2024 को यह 75 लाख टन था. पिछले साल 266 लाख टन की खरीद की गई थी, जबकि इस साल सरकार ने 262 लाख टन की खरीद की है और खरीद अभी भी जारी है. इसलिए (शुरुआती स्टॉक में) गेहूं की कमी सिर्फ तीन लाख टन की है.