नई दिल्ली: मणिपुर हिंसा मामले को लेकर मोदी सरकार और गृह मंत्री अमित शाह एक्शन मोड में हैं. केंद्र सरकार ने हिंसा मामले में मणिपुर के राज्यपाल की अध्यक्षता में एक शांति समिति का गठन किया है. इस समिति में राज्य के मुख्यमंत्री भी शामिल रहेंगे. साथ ही समिति में कई पूर्व सिविल सेवकों को भी शामिल किया गया है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार समिति के सदस्यों में मुख्यमंत्री, राज्य सरकार के कुछ मंत्री, सांसद, विधायक और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भी शामिल हैं. समिति में पूर्व सिविल सेवक, शिक्षाविद्, साहित्यकार, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न जातीय समूहों के प्रतिनिधि को भी शामिल किया गया है. समिति का उद्देश्य राज्य के विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति बनाने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए होगा, जिसमें शांतिपूर्ण वार्ता और परस्पर विरोधी दलों/समूहों के बीच बातचीत शामिल है.
शांति समिति सामाजिक सद्भाव और भाईचारे को भी बढ़ाने के लिए प्रयास करेगी, जिससे विभिन्न जातीय संगठनों के बीच सद्भावनापूर्ण बातचीत हो सके. केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने 29 मई 2023 से 1 जून 2023 के दौरान मणिपुर राज्य का दौरा किया था और स्थिति का जायजा लेने के बाद शांति समिति के गठन की घोषणा की थी. हालांकि अभी भी मणिपुर में हिंसा का दौर जारी है.
ताजा मामला खोखेन गांव का है, जहां शुक्रवार को जवानों की वर्दी में आए मैती समुदाय के उग्रवादियों ने पहले कॉबिंग के बहाने ग्रामीणों को घरों के बाहर बुलाया और फिर उन पर फायरिंग करनी शुरू कर दी. इस गोलीबारी में एक महिला समेत तीन लोगों की मौत हो गई, वहीं दो लोगों के घायल होने की खबर है. गौरतलब हो कि मणिपुर हिंसा की जांच CBI कर रही है. CBI ने अभी तक छह FIR दर्ज की है, जिसमें पांच आपराधिक साजिश की है. CBI इस बात का पता लगाएगी कि तीन मई से जारी कुकी और मैती समुदाय के बीच हिंसा किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं है.