तय मानकों से होती है ग्रोथ की गणना, वित्त मंत्रालय ने बढ़ी हुई GDP दिखाने के आरोपों को किया खारिज

0 170

नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय की ओर से बढ़ी हुई जीडीपी दिखाने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया गया है। साथ ही कहा गया कि आर्थिक विकास की गणना के लिए सरकार की ओर से काफी समय से लगातार अमल में लाई जा रही इनकम साइड एप्रोच का ही उपयोग किया गया है।

इसके अलावा वित्त मंत्रालय की ओर से कहा गया कि आलोचकों को अन्य डेटा जैसे पीएमआई, बैंक क्रेडिट ग्रोथ, बढ़ा हुआ पूंजीगत खर्च और खपत के पैटर्न को भी देखना चाहिए। वहीं, कहा कि पहली तिमाही का डेटा सामने आने के बाद कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने अपने जीडीपी अनुमान को संशोधित किया है।

भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत थी। यह इनकम और प्रोडक्शन एप्रोच के मुताबिक है। वहीं, एक्सपेंडिचर एप्रोच से ये कम आती है। इसके लिए बैलेंसिंग आंकड़ा – सांख्यिकीय विसंगति को जोड़ा जाता है। विसंगति सकारात्मक और नकारात्मक होती है।

आगे मंत्रालय की ओर से लिखा गया कि वित्त वर्ष 23 और वित्त वर्ष 22 में सांख्यिकीय विसंगति नकारात्मक थी। एक्सपेंडिचर एप्रोच के मुताबिक, यह वित्त वर्ष 23 में रिपोर्ट की गई 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर और वित्त वर्ष 22 में रिपोर्ट की गई 9.1 प्रतिशत की ग्रोथ रेट से अधिक होती है। भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने एक लेख में तर्क दिया कि भारत की जीडीपी प्रोडक्शन एप्रोच की बजाय एक्सपेंडिचर एप्रोच से मापी जाती है।

वहीं, कांग्रेस की ओर से एक पहले आरोप लगाया गया था कि रियल जीडीपी की संख्या को बढ़ा चढ़ाकर बताई जा रही है, क्योंकि ये जीडीपी वृद्धि दर महंगाई के प्रभाव को सटीक रूप से प्रतिबिंबित नहीं करते हैं।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.