नई दिल्ली : हमास के नेता इस्माइल हानियेह ने गुरुवार को दावा किया कि वह इस्राइल के साथ युद्धविराम समझौते के करीब हैं। हानियेह ने सोशल मीडिया पोस्ट टेलीग्राम पर यह बयान जारी किया है। बता दें कि हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी ऐसे संकेत दिए थे कि इस्राइल और हमास के बीच जल्द ही अगवा बंधकों को रिहा करने का समझौता हो सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्राइल, हमास के बीच युद्धविराम समझौते को लेकर मध्यस्थता कतर द्वारा की जा रही है। हमास की राजनीतिक विंग का कार्यालय भी कतर में मौजूद है। कतर के पीएम ने रविवार को बताया कि हमास द्वारा अगवा इस्राइली बंधकों को छोड़ने और अल्पकालिक युद्धविराम का समझौता जल्द हो सकता है और यह कुछ मुद्दों को लेकर अटका हुआ है। सोमवार को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी इसके संकेत दिए। दरअसल जब उनसे पूछा गया कि क्या इस्राइली बंधकों को छोड़ने की डील जल्द हो सकती है तो इस पर बाइडन ने कहा कि ‘मुझे ऐसा ही लगता है।’
मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया जा रहा है कि समझौते के तहत इस्राइल पांच दिनों तक युद्धविराम करेगा और इस दौरान जमीन पर युद्धविराम होगा और उत्तरी गाजा में हवाई हमले भी नहीं होंगे। इसके बदले में हमास इस्राइल के 50-100 बंधकों को छोड़ सकता है। जो बंधक छोड़े जाएंगे, उनमें इस्राइली आम नागरिक और विदेशी नागरिक शामिल होंगे लेकिन किसी भी बंधक सैनिक को नहीं छोड़ा जाएगा। इस समझौते के तहत इस्राइल को करीब 300 फलस्तीनियों को भी रिहा करना पड़ सकता है, जो इस्राइल की विभिन्न जेलों में बंद हैं।
व्हाइट हाउस ने बताया कि संभावित समझौते को लेकर बातचीत अंतिम दौर में पहुंच गई है लेकिन व्हाइट हाउस ने ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया है। वहीं रेड क्रॉस ने सोमवार को बताया कि उसके अध्यक्ष ने भी कतर में हमास चीफ इस्माइल हानियेह से मुलाकात की है और गाजा में मानवीय मदद पहुंचाने को लेकर चर्चा की। रेड क्रॉस ने दोनों पक्षों से अपील की है लड़ाई में आम नागरिकों की रक्षा की जानी चाहिए। साथ ही रेड क्रॉस ने बंधकों को भी तुरंत रिहा करने की अपील की।
बता दें कि हमास के आतंकियों ने बीती 7 अक्तूबर को इस्राइल की सीमा में घुसकर नरसंहार किया और इस दौरान 1400 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इस दौरान हमास के आतंकियों ने 240 इस्राइली और कई विदेशी नागरिकों को भी अगवा कर लिया। इसके जवाब में इस्राइल ने गाजा पट्टी पर बमबारी की है, जिसमें 13 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।