नई दिल्ली. एक बड़ी खबर के अनुसार अब सेम सेक्स मैरिज (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई होनी है। हालांकि केंद्र सरकार ने इसका पुरजोर विरोध किया है। वहीं मामले पर मोदी सरकार ने अदालत में हलफनामा देते हुए कहा कि यह डिमांड सिर्फ शहरी एलीट क्लास की है, इससे आम नागरिकों के हित प्रभावित होंगे। साथ ही सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं खारिज करने की भी अपील की है।
इसके साथ ही मोदी सरकार ने तर्क दिया कि विवाह सामाजिक-कानूनी संस्था है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत सिर्फ विधायिका ही मान्यता दे सकती है। साथ ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि, शादी को मान्यता देना अनिवार्य रूप से एक विधायी कार्य है, जिसे तय करने से अदालतों को बचना चाहिए। अदालतें विवाह के लिए मौजूदा विधायी ढांचे को तोड़कर कानून न तो बना सकती हैं और न ही उन्हें मान्यता दे सकती हैं।
बता दें कि, समलैंगिक विवाह को लेकर दिल्ली HC के अलावा कई और अदालतों में याचिकाएं डाली गई थीं। वहीं अदालतों में इस बाबत कम से कम 15 याचिकाएं लगाई गई थीं। इन सभी याचिकाओं में समलैंगिक जोड़ों और एक्टिविस्टों ने विभिन्न विवाह अधिनियमों को चुनौती दी थी और कहा था कि, ये विवाह अधिनियम उन्हें आपस में विवाह करने से रोकते हैं। उनके अधिकार से भी वंचित करते हैं। ऐसे में अब आज केंद्र सरकार के विरोध की बावजूद सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होनी है।