नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI)में महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के मामले में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने बीती सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं रहने के कारण एक पीड़िता को समन जारी करते हुए आदेश दिया था कि वह आज यानी 14 नवंबर तक वह अदालत में सबूत दर्ज कराए। इस मामले में उक्त पीड़िता को पहले भी समन जारी किया गया था।
जानकारी दें कि बीते 4 नवंबर की सुनवाई में पीड़िता के वकील ने कोर्ट को बताया था कि वह इस समय देश में नहीं हैं, इसलिए कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सकीं। दरअसल वह अगले महीने एक चैम्पियनशिप में शामिल होने के लिए देश से बाहर हैं और अगले दो महीने तक बाहर रहेंगी। इस पर दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से अपील की कि वे उन्हें समन जारी करें। कोर्ट ने भी तब पुलिस की मांग मानते हुए पीड़िता को आदेश दिया कि वह 14 नवंबर तक अपना बयान कोर्ट के सामने दर्ज ही कराए।
दरअसल इस सुनवाई के दौरान बृजभूषण के वकील ने इस बात का विरोध दर्ज कराया था कि जो भी महिला पहलवान आरोप लगा रही हैं, उन्हें बृजभूषण सिंह के सामने ही कोर्ट में अपना बयान देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है, तो उनके वकील के सामने बयान दर्ज कराया जाए। इस बाबत अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने बृजभूषण की याचिका पर यह आदेश पारित किया और एक शिकायतकर्ता को 14 नवंबर को मामले में बयान दर्ज कराने के लिए पेश होने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही दिल्ली की एक अदालत ने बृजभूषण शरण सिंह को आगामी एक साल के लिए पासपोर्ट का नवीनीकरण कराने की अनुमति दे दी है।
जानकारी दें कि, अदालत ने बृजभूषण के खिलाफ बीते 21 मई को ही यौन उत्पीड़न और बलपूर्वक महिलाओं का शील भंग करने के आरोप तय किए थे। इस बाबत बृजभूषण ने आरोप स्वीकार करने से इनकार करते हुए मुकदमे का सामना करने का ही फैसला किया था। बृजभूषण और मामले में सह-आरोपी WFI के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर के खिलाफ आपराधिक धमकी का आरोप भी तब तय किया गया था।