बदायूं में जामा मस्जिद या नीलकंठ महादेव मंदिर? फास्ट ट्रैक कोर्ट में आज होगी सुनवाई

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लखनऊ: संभल जामा मस्जिद के बाद उत्तर प्रदेश के बदायूं का जामा मस्जिद भी सुर्खियों में है। इस मस्जिद को नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया जा रहा है। जिसके बाद आज मंगलवार को इस मामले पर सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में सुनवाई होनी है। जिसके बाद अब दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए हैं।

दरअसल, हिंदू महासभा के अध्यक्ष मुकेश पटेल ने कोर्ट में वाद दायर करते हुए कहा दावा किया था कि शहर की जामा मस्जिद जहां स्थित है, वहां पहले नीलकंठ महादेव का मंदिर था, जिसके साक्ष्य भी वहां मौजूद हैं। वहां आज भी मूर्तियां, पुराने खंभे और नीचे सुरंगें हैं। साथ ही मस्जिद के पास में ही पहले तालाब भी हुआ करता था। लेकिन जब मुस्लिम आक्रमणकारी आए तो उन्होंने मंदिर को तोड़ दिया गया और ये भी कहा जाता है कि इस मंदिर का शिवलिंग उन्होंने फेंक दिया था। जिसे दो साधुओं ने उठाकर थोड़ी दूर स्थित मंदिर में लाकर स्थापित कर दिया था, जिसमें आज भी पूजा की जाती है।

ASI ने राष्ट्रीय धरोहर होने का किया दावा
जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले सुनवाई में सरकार ने अपना पक्ष रखा है। पुरातत्व विभाग ने इसे राष्ट्रीय धरोहर बताया। साथ ही ये भी बताया गया है कि राष्ट्रीय धरोहर से 200 मीटर तक की जमीन पर सरकार का स्वामित्व है। ऐसे में आज जामा मस्जिद के स्वामित्व को लेकर सुनवाई होनी है। कोर्ट ने इंतेजामिया कमेटी, यूपी सेंटर सुन्नी वक्फ बोर्ड, भारत सरकार, मुख्य सचिव यूपी, पुरातत्व विभाग और डीएम बदायूं को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

यह है हिंदू महासभा का दावा
हिंदू महासभा के मुकेश पटेल ने दावा किया है कि कुतुबुद्दीन ऐबक के समय यहां मंदिर था। फिर उसे तोड़कर मस्जिद बना दी गई। इसके साक्ष्य 1875 से 1978 तक के गजट में मौजूद हैं। फिलहाल इंतेजामिया कमेटी की ओर से बहस चल रही है। इसके पूरा होने के बाद अधिवक्ता उनकी ओर से अपना पक्ष रखेंगे।

850 साल पुरानी है मस्जिद!
जामा मस्जिद का केस लड़ रहे अधिवक्ता असरार अहमद सिद्दीकी ने कहा है कि ये 850 साल पुरानी जामा मस्जिद है। यहां कभी मंदिर हुआ ही नहीं करता था। हिंदू महासभा को मंदिर पर दावा पेश करने का कोई अधिकार नहीं है। उनके दावे के मुताबिक मंदिर का अस्तित्व ही नहीं है, जो चीज अस्तित्व में ही नहीं है, उसकी ओर से दावा नहीं किया जा सकता। दावे को खारिज करने पर कोर्ट में बहस चल रही है। उन्होंने कहा कि अगर पुराने रिकॉर्ड भी चेक किए जाएं तो सरकारी रिकॉर्ड में जामा मस्जिद आज भी यहीं दर्ज है।

मुसलमानों ने किया ये दावा
जामा मस्जिद के आसपास के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने दावा किया है कि गुलाम वंश के सुल्तान शम्सुद्दीन अल्तमश ने 1223 ई. में अपनी बेटी रजिया सुल्तान के जन्म पर इस मस्जिद को बनाया था। रजिया सुल्तान पहली मुस्लिम शासक बनी थीं। शम्सुद्दीन सूफी विचारधारा के प्रबल प्रचारक थे। जब वे बदायूं आए तो यहां कोई मस्जिद नहीं थी। इसी वजह से उन्होंने इस मस्जिद को बनाया था।

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