नई दिल्ली : खराब खानपान और भारी प्रदूषण के कारण दुनिया भर में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (सीवीडी) यानी दिल और रक्त वाहिकाओं संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। 1990 में जहां सीवीडी की वजह से 1.24 करोड़ लोगों की जान गई, वहीं 2022 में यह बढ़कर 1.98 करोड़ हो गई। यानी पिछले 32 वर्षों में इन बीमारियों से होने वाली मौतों में 59.7 फीसदी का इजाफा हुआ है।
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी की जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं ने दुनिया के 21 क्षेत्रों में दिल और रक्त वाहिकाओं से संबंधी बीमारियां की स्थिति और उनके खतरों से जुड़े कारकों के प्रभावों की जांच की है।
2022 में इन बीमारियों के करीब 34 फीसदी पीड़ित 70 वर्ष की आयु से कम थे। इससे यह स्पष्ट है कि इन बीमारियों का खतरा केवल बुजुर्गों और उम्र दराज लोगों तक ही सीमित नहीं है बल्कि अब बच्चे और युवा इनकी चपेट में आ रहे हैं।
पूर्वी यूरोप में इन बीमारियों से होने वाली मौतों की दर सबसे ज्यादा है। यह प्रति लाख लोगों पर 553 रिकॉर्ड की गई है। 2015 से 2022 के बीच दुनिया के 204 में से 27 देशों या क्षेत्रों में इनसे होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है। इनमें रूस, यूक्रेन, बेलारूस, पोलैण्ड, बुल्गारिया, चेक गणतंत्र, स्लोवाकिया, एस्टोनिया, लातविया, हंगरी और क्रोएशिया जैसे देश शामिल हैं।
रिपोर्ट में सीवीडी के खतरों से जुड़े 15 कारकों की जांच भी की गई है। इनमें वायु प्रदूषण, लेड का जोखिम, कम और अत्यधिक तापमान, रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल का स्तर, शरीर का वजन, रक्त शर्करा, आहार, धूम्रपान, मास इंडेक्स, शराब का सेवन, सेकंड हैंड स्मोक और शारीरिक गतिविधियां जैसे कारक शामिल थे।
रिपोर्ट के अनुसार एशिया, यूरोप, अफ्रीका और मध्य पूर्व के क्षेत्रों में सीवीडी की वजह से मृत्यु दर का सबसे ज्यादा खतरा है। इन क्षेत्रों में उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, खानपान संबंधी लापरवाही और लगातार बढ़ रहा वायु प्रदूषण इसके प्रमुख कारण हैं।
विश्व स्वस्थ्य संगठन के अनुसार 2019 में हृदय संबंधी बीमारियों के कारण 1.79 करोड़ लोगों की असमय मृत्यु हो गई थी। यह वैश्विक स्तर पर होने वाली कुल मौतों का करीब 32 फीसदी है। इनमें से करीब 85 फीसदी मौतों की वजह हार्ट अटैक और स्ट्रोक थी।