मणिपुर जारी हिंसा और आदिवासी महिलाओं से बर्बर सलूक पर राष्ट्रपति को हेमंत सोरेन ने लिखा पत्र

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रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मणिपुर में जारी हिंसा और आदिवासी महिलाओं से बर्बर सलूक पर भारत की राष्ट्रपति को पत्र लिखकर गहरा दुख व्यक्त किया । उन्होंने कहा है कि जनजाति भाई-बहनों के साथ घिनौनी बर्बरता और क्रूरता पर चुप्पी साधे रखना भयानक अपराध होगा।

उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मणिपुर में शांति-सद्भाव की बहाली और मानव गरिमा को सुनिश्चित करने के उपाय करने की गुहार लगाई है। उन्होंने पत्र में कहा है कि मणिपुर को मरहम की जरूरत है। एक राष्ट्र के तौर पर उसकी मदद जरूरी है। सीएम ने यह पत्र अपने ट्विटर हैंडल पर भी साझा किया है। उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री और राष्ट्र के एक नागरिक के तौर पर मणिपुर में सैकड़ों निर्दोष लोगों की मौत, संपत्ति और सार्वजनिक ढांचे को पहुंचाए गए नुकसान पर गहरी व्यथा जाहिर की है।

उन्होंने लिखा है, मणिपुर दो महीने से ज्यादा समय से जल रहा है। जो सूचनाएं हैं उनके अनुसार, मणिपुर में बच्चों सहित 40 हजार से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं और अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं। कुछ निहित स्वार्थों की वजह से मौन समर्थन के साथ वहां जातीय हिंसा बेरोकटोक जारी है, जो दुःखद है। मणिपुर एक जनजातीय बहुल राज्य है, जो अपनी जीवंत संस्कृति के लिए जाना जाता है। इस राज्य ने देश को कई श्रेष्ठ खिलाड़ी दिए हैं, जिन्होंने राष्ट्र को अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मान और ओलंपिक पदक दिलाए हैं। कुंजुरानी देवी, थोइबा सिंग, रेन्नेडी सिंग, डिंगको सिंग, मीराबाई चानू, सरिता देवी और मैरी कॉम जैसे खिलाड़ियों के नाम का जिक्र करते हुए सोरेन ने कहा है कि उन्होंने भी शांति बहाली की अपील की है।

मुख्यमंत्री ने लिखा है, दो दिन पूर्व मणिपुर में आदिवासी महिलाओं के साथ जिस तरह से बर्बरतापूर्ण व्यवहार हुआ, वह अत्यंत चिंतनीय और निंदनीय है। इस घटना ने पूरे देश को अंदर तक झकझोर कर रख दिया है। भारतीय संविधान में देशवासियों को प्राप्त सम्मान के अधिकार को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। एक समाज को कभी भी उस हद तक नहीं जाना चाहिए, जहां लोगों को उस तरह की शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक क्रूरता का सामना करना पड़े। ऐसा प्रतीत होता है, मणिपुर में शांति, एकता और न्याय समाप्त होने के कगार पर है।

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति को कहा है कि मणिपुर और देश के सामने संकट की इस घड़ी में हम आपको आशा और प्रेरणा के अंतिम स्रोत के रूप में देखते हैं जो इस कठिन समय में मणिपुर के लोगों को रोशनी दिखा सकती हैं। इस विकट परिस्थिति में आगे का रास्ता दिखाने, न्याय सुनिश्चित करने और मणिपुर की शांति एवं सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की अपील करता हूं।

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