Hijab Row verdict : कहा से आया हिजाब , इस्लाम से क्या इसका नाता जानिए

0 525

Karnataka HC: कर्नाटक में हिजाब (Hijab) पर विवाद जोरो पर है. यहां के कुंडापुरा कॉलेज में 28 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर क्‍लास में बैठने से रोका गया था इस मामले में छात्राओं ने हाईकोर्ट (Karnataka High Court) में याचिका लगाई दी थी (Hijab Row verdict). याचिका में कहा गया कि इस्‍लाम में हिजाब अनिवार्य है. लिहाजा उन्‍हें इसे पहनने की अनुमति दी जाए। इस पर अब सियासत छिड़ गयी है। मामला और उलझता जा रहा है.

ALSO READ: Hijab Row Hearing: कर्नाटक हाईकोर्ट आज सुनाएगा फैसला, स्कूल-कॉलेज बंद, कई जिलों धारा 144 लागू

ऐसे में बड़ा सवाल है कि इस हिजाब की शुरुआत कब, कहां और कैसे हुई, जो महिलाओं के जीवन का अहम हिस्‍सा बन गया.

कभी इसकी शुरुआत धूप से बचने के लिए हुई थी

एक रिपोर्ट कहती है, हिजाब की शुरुआत महिलाओं की जरूरत की वजह से की गयी थी। इसका इस्‍तेमाल मैसापोटामिया सभ्‍यता के लोग करते थे (Hijab Row verdict). शुरुआती दौर में तेज धूप, धूल और बारिश से सिर को बचाने लिनेन के कपड़े का प्रयोग किया जाता था। जैसा अपने आमतौर पर महिलाओ को धुप से बचाने के लिए खुद को किसी कपडे से कवर करते देखा होगा इसे सिर पर बांधा जाता था. 13वीं शताब्‍दी में लिखे गए प्राचीन एसिरियन लेख में भी इसका जिक्र कियाकरते हुए भी देखा गया है। हालांकि, बाद में इसे धर्म से का नाम दिया गया . इसे महिलाओं, बच्चियों और विधवाओं के लिए पहनना अनिवार्य कर दिया गया. इसे धर्म फिर इसे महिलाओ को धर्म के प्रति सम्मान के तौर पर देखा जाने लगा।

लेकिन इस बात पर ताज्जुब होता है की यह हर महिलाओ के लिए यह अनिवार्य नहीं है। रिपोर्ट कहती है की हिजाब निम्न वर्ग और वेश्याओं को पहनने की अनुमति अनुमति नहीं है। अगर ये इनका प्रयोग करती भी थीं तो सार्वजनिक तौर पर इनका अपमान किया जाता था या फिर इनकी गिरफ्तारी की जाती थी.
फैशन के इत‍िहास की जानकारी रखने वाली न्‍यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की हिस्‍टोरियन नैंसी डेयल का कहना है यह धीरे -धीरे महिलाओ के पहनावे के तौर पर देखा जाने लगा। किश्‍चियन और इजरायली मूल के लोग रहते थे. ये अपने बालों को ढककर रखते थे. इसकी जानकारी उनके पवित्र ग्रंथ में भी मिलती है

लेखन फेगेह शिराजी ने अपनी किताब ‘द वेल अनइविल्‍ड: द हिजाब इन मॉडर्न कल्‍चर’ में लिखा है कि सऊदी अरब में इस्‍लाम से पहले ही महिलाओं में सिर को ढकने का चलन अब आम हो चला है। धीरे धीरे इसे स्टाइलिश बनाया गया फैशन डिज़ाइनर इस पर काम करने लगे फिर महिलाए भी इसे धीरे – धीरे अपनी सुविधा के तौर पर पहनने लगी। कई देशो में इसका चलन भी नहीं था लेकिन इसे महिलाए खुद को आकर्षक बनाने के लिए देखने लगी।

 

रिपोर्ट शिवी अग्रवाल

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.