धरती बचाने को लेकर 190 देशों में ऐतिहासिक समझौता, भारत ने जताई इस बात की चिंता

0 158

नई दिल्ली : दुनियाभर के 190 देशों के बीच चार साल की खींचतान के बाद धरती बचाने को लेकर ऐतिहासिक समझौता किा गया है। कॉप 15 कॉन्फ्रेंस में दुनियाभर के देश 2030 तक धरती और सागर का 30 फीसदी हिस्सा संरक्षित करने और 23 लक्ष्यों को पूरा करने की बात पर सहमत हुए हैं। हालांकि कुछ ऐसे भी मुद्दे हैं जिनको लेकर भारत और अन्य कुछ विकसित देशों ने चिंता जताई है। इस समझौते के 23 लक्ष्यों में खेती के लिए दी जाने वाली कई सब्सिडी में कटौती करने की भी बात कही गई है। हालांकि भारत की मांग है कि सब्सिडी रोकने पर फिर विचार किया जाना चाहिए।

इस समझौते के अंतर्गत ग्लोबल बायोडाइवर्सिटी फ्रेमवर्क तैयार किया गया है जिसके तहत सरकारों को हर साल 500 अरब डॉलर की सब्सिडी में भी कटौती करनी है। 2025 तक यह लक्ष्य हासिल करना है। सब्सिडी ऐसी खेती पर खत्म करने की बात कही गई है जो कि जैव विविधता के लिए खतरा है। जीबीएफ ने कहा, भारत को थोड़ा स्पेस दिया जाना चाहिए। वह खुद भी अपने स्तर पर जैव खेती को प्रमोट कर रहा है।

इस समझौते के तहत जो कुछ अहम लक्ष्य हैं उनमें 30 प्रतिशत, समुद्री और तटीय इलाकों को संरक्षित करना, फूड वेस्ट को कम करना, पेस्टिसाइड का इस्तेमाल रोकना, धरती के संरक्षण के लिए फंड इकट्ठा करना, विकसित देशों को फंड उपलबंध करवाना, बड़े निवेशकों से पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करवाना शामिल है। पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इसे ऐतिहासिक डील बताया है। उन्होंने कहा, भात ने सभी लक्ष्यों को स्वीकार किया है। हालांकि अपनी-अपनी क्षमता और नेचर के हिसाब से इसके टारगेट निश्चित किए जाएंगे।

यादव भारत के प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे। पैरिस ऐग्रिमेंट से इतरह जीबीएफ ने जो टारगेट तय किए हैं उनमें पेस्टिसाइड के इस्तेमाल को आधा करना और विकसित देशों से विकासशी देशों को कम से कम 20 अरब डॉलर की धनराशि 2025 तक और 30 अरब डॉलर 2030 तक देने की बात शामिल है। यूएन इन्वायरनमेंट प्रोग्राम के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर इंगर ऐँडरसन ने कहा, इस समझौते की सफलता इसी बात से आंकी जाएगी कि इसकी बातों को कितना लागू किया जा रहा है।

इस समझौते में 2030 तक दुनियाभर के 30 फीसदी क्षेत्र को संरिक्षित करने की बात है। इसके तहत विकासशील देशों को हर साल करीब 30 करोड़ रुपेय की मदद दी जाएगी। इसके अलावा मूल निवासियों के अधिकारों को रक्षित करने और जैव विविधता अभियान चलाने की बात है।खेती की सब्सिडी में कटौती करके धन बचाने और विकासशील देशों को देने की बता है। बता दें कि धनराशि को लेकर खींचतान के चलते ही अब तक समझौता नहीं हो पा रहा था। अब समझौता हुआ हैकि जीईएफ के तहत कोष बनाया जाएगा। अमेरिका ने रिपब्लिकन के विरोध के चलते इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया Vnation के Facebook पेज को LikeTwitter पर Follow करना न भूलें...
Leave A Reply

Your email address will not be published.