बीजेपी का हाथ थामे निषाद पार्टी की ऊंची छलांग, अब यहां है संजय निषाद की नजर; 13 को दिखाएंगे ताकत

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लखनऊ: निर्बल इंडियन शोषित हमारा आमदल यानि निषाद पार्टी 13 जनवरी को गोरखपुर के महंथ दिग्विजयनाथ पार्क में अपना 10 वां संकल्‍प दिवस मनाने जा रही है। इसकी तैयारी में जुटी पार्टी ने अपने पोस्‍टरों पर संस्‍थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री (मत्स्य विभाग) डा.संजय निषाद, सांसद ई.प्रवीण निषाद के साथ पीएम नरेन्‍द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्‍यक्ष जयप्रकाश नड्डा और सीएम योगी आदित्‍यनाथ की भी तस्‍वीरें लगाई हैं। इनके अलावा पार्टी के सभी विधायकों और प्रमुख पदाधिकारियों की तस्‍वीरें भी हैं। बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने निषाद पार्टी को 15 सीटें दी थीं जिनमें से 11 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बीजेपी का हाथ थामे निषाद पार्टी अब यूपी निकाय और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी है। इस बीच 13 जनवरी को संकल्‍प दिवस के बहाने डा.संजय निषाद एक बार फिर अपनी ताकत और भगवा खेमे के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करेंगे।

पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के गठबंधन कर अपने वोट बैंक को साधते हुए डा.संजय निषाद ने जिस रणनीति के बूते कमाल कर दिखाया। अब उसे आगे बढ़ाते हुए नगर निकायों तक में निषाद पार्टी का संगठन पहुंचाने की कवायद शुरू हुई है। बता दें कि नगर निकाय चुनाव लड़ने के मसले पर पिछले दिनों डा.संजय निषाद कह चुके हैं कि भाजपा निषाद पार्टी के लिए बड़े भाई की तरह है। ऐसे में बड़े भाई का फर्ज है छोटे भाई का ख्याल रखना। वह नगर निकाय चुनाव के अलावा 2024 के लोकसभा चुनाव में भी निषाद पार्टी के उतरने का ऐलान कर चुके हैं। जाहिर है, उनकी रणनीति बीजेपी का हाथ थामे ऊंची छलांग लगाने की है और इसी के लिए वह लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में जुटे हैं। बीजेपी का साथ निषाद पार्टी के लिए कितना कारगर हो सकता है इसे इसी से समझा जा सकता है कि 2017 में जहां पीस पार्टी से समझौता कर चुनाव लड़ने पर निषाद पार्टी को 72 सीटों पर लड़कर सिर्फ एक ज्ञानपुर की सीट पर जीत मिली थी। डॉ. संजय निषाद खुद भी गोरखपुर देहात से हार गए थे। उन्हें सिर्फ 34,869 वोट मिले। वहीं 2022 के चुनाव में बीजेपी से गठबंधन कर लड़ी गई 15 सीटों में से 11 पर उसे जीत मिली।

जाहिर है बीजेपी से गठबंधन कर निषाद पार्टी ने न सिर्फ अपने वोट बैंक को मजबूत किया है बल्कि कैडर को खिसकने भी नहीं दिया है। कभी इलेक्‍ट्रो होम्‍योपैथी की प्रैक्टिस करने के दौरान उसकी मान्‍यता के लिए संघर्ष करने वाले डा.संजय निषाद की रणनीति चंद वर्षों में ही पार्टी को क्षेत्रीय दलों ही नहीं बल्कि कांग्रेस और बसपा जैसी पार्टियों से भी आगे ले आई है। यूपी में आज यह चौथे नंबर की पार्टी है।

कैसे बदली तस्‍वीर
निषाद पार्टी की तस्‍वीर और तकदीर 2017 में पहली बार तब बदली जब गोरखपुर के सांसद रहे योगी आदित्‍यनाथ को यूपी की कमान मिली। मुख्‍यमंत्री बनने के बाद उन्‍होंने गोरखपुर लोकसभा सीट से इस्‍तीफा दे दिया। इस सीट पर उपचुनाव में डा.संजय निषाद ने सपा से गठबंधन किया और उनके बेटे प्रवीण निषाद बीजेपी उम्‍मीदवार उपेन्‍द्र शुक्‍ल को हराकर संसद में पहुंच गए। गोरखपुर लोकसभा सीट उपचुनाव में हारने के बाद बीजेपी ने निषाद पार्टी को अपने साथ लाने की कवायद शुरू कर दी। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रवीण निषाद को संतकबीरनगर से मैदान में उतारा और वे चुनाव जीत गए। इसके बाद डा.संजय निषाद को भी बीजेपी ने विधान परिषद में पहुंचा दिया। 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने निषाद पार्टी को गठबंधन के तहत 15 सीटें दीं, जिनमें 11 सीटों पर जीत मिली। हालांकि इन 11 में पांच सीटों पर निषाद पार्टी के उम्‍मीदवार बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़े थे। जीत हासिल करने वालों में डॉ. संजय निषाद के छोटे बेटे सरवन निषाद भी थे। वह चौरी-चौरा सीट से जीतकर विधानसभा में पहुंचे हैं।

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