नई दिल्ली। भारत समेत दुनिया के कई देश इन दिनों में भीषण गर्मी का सामना कर रहे हैं। भारत के कई राज्यों में हीटवेव की चेतावनी जारी की गई है। इसकी वजह से लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। इसी कड़ी में आज हम आपको दुनिया की पांच ऐसी जगहों के बारे में बताएंगे, जहां इतनी भयानक गर्मी पड़ती है कि लोगों की जान भी जा सकती है। यह जगहें इतनी गर्म होती हैं कि यहां पर 10 मिनट में इंसान बीमार पड़ सकता है या कुछ घंटे में ही उसकी मौत हो सकती है।
दुनिया की सबसे गर्म जगहों में अफ्रीका का सहारा रेगिस्तान भी शामिल है। इस जगह का औसत तापमान 35 से 42 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। पूरे साल यहां 100 मिलिमीटर से भी कम बारिश होती है, जो न के बराबर है। सहारा रेगिस्तान में अधिकतम तापमान 58 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जबकि सतह का तापमान 76 डिग्री सेल्यिस रिकाॅर्ड किया गया है। सहरा दुनिया का सबसे बड़ा गर्म रेगिस्तान है।
कैलिफोर्निया की डेथ वैली दुनिया की सबसे अधिक गर्म जगहों में से एक है। 10 जुलाई 1913 में यहां पर अधिकतम तापमान का रिकॉर्ड बना था। उस समय डेथ वैली के फरनेस क्रीक नामक स्थान पर अधिकतम तापमान 56.7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ था। फिलहाल यहां पर 37 से 40 डिग्री के बीच तापमान दर्ज किया जाता है। यहां पर गर्मी की कई वजहें हैं जिनमें सूरज की गर्मी, घाटी में गर्म हवाओं का बाहर नहीं जा पाना और फंसकर घूमता रहना है। इसके साथ ही आसपास रेगिस्तान मौजूद हैं, जहां से गर्म हवाएं आती हैं। यहां के जलीय स्रोतों से ह्यूमिडिटी निकलती है, जिनकी वजहों से डेथ वैली में जानलेवा गर्मी पड़ती है।
चीन का फ्लेमिंग माउंटेन टकलामाकेन रेगिस्तान के उत्तरी इलाके में स्थित है। शिनजियांग प्रांत के तियान शान में स्थित लाल सैंडस्टोन्स की पहाड़ियों को फ्लेमिंग माउंटेंस या हुओयान माउंटेंस भी कहा जाता है। इस पहाड़ की लंबाई 100 किलोमीटर और चौड़ाई 5 से 10 किलोमीटर है। इस जगह गर्मी के दिनों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। बताया जाता है कि साल 2008 में इस इलाके में 66.8 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकाॅर्ड पहुंच था, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं की गई है।
लीबिया के उत्तर-पश्चिम इलाके में स्थित जाफरा जिले में ल अजीजिया एक छोटा सा कस्बा है। इस इलाके में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है। आमतौर पर यहां का उच्चतम तापमान 35 से 40 के बीच रहता है, लेकिन 13 सितंबर 1922 में 58 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया था। लेकिन बाद में विश्व मौसम संगठन ने साल 2012 में इसको गलत बताया था, क्योंकि उस समय तापमान मापने की सुविधा इस इलाके में नहीं थी। हालांकि इस इलाके में गर्मी बहुत अधिक पड़ती है।