राज्यपाल के बेटे की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विपक्ष का भारी हंगामा, सदन की कार्यवाही स्थगित

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भुवनेश्वर : ओडिशा विधानसभा में मंगलवार का दिन भी हंगामेदार रहा। विपक्षी बीजद और कांग्रेस ने राज्यपाल रघुवर दास के बेटे के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। हंगामे के चलते दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। राज्यपाल के बेटे पर एक अधिकारी पर हमला करने का आरोप है। प्रश्नकाल के लिए सदन की कार्यवाही शुरू हुई। इसके साथ ही विपक्षी की मुख्य सचेतक प्रमिला मलिक ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी से बयान की मांग की।

राज्यपाल के बेटे ललित कुमार ने सात जुलाई को कथित तौर पर पुरी राजभवन में सहायक अनुभाग अधिकारी बैकुंठ प्रधान पर हमला किया था। तब प्रधान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तटीय मंदिर शहर के दौरे के दौरान अपनी ड्यूटी कर रहे थे। इस घटना के बाद कथित तौर पर प्रधान का तबादला गृह विभाग में कर दिया गया। प्रमिला मलिक इस मुद्दे पर बोल ही रहीं थीं कि बीजद विधायक सदन के बीचोंबीच आ गए और कानून को अपने हाथ में लेने के लिए ललित कुमार की गिरफ्तारी की मांग करने लगे।

हंगामे के कारण विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाधी ने सदन की कार्यवाही को एक घंटे के लिए सुबह 11 बजे तक स्थगित किया। इसके बाद मलिक ने विधानसभा से बाहर पत्रकारों से कहा, “राज्य सरकार राज्यपाल के बेटे को बचा रही है। भाजपा की उड़िया अस्मिता तब तब कहां थी, जब ओडिशा के एक अधिकारी पर राज्य के बाहर के एक व्यक्ति द्वारा हमला किया गया था? उन्होंने कहा, प्राथमिकी 12 जुलाई को एक पुलिस थाने में दर्ज की गई थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।”

सुबह साढ़े 11 बजे जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो कांग्रेस सदस्य बीजद विधायकों के साथ सदन के बीचोंबीच आ गए और प्रदान के लिए न्याय की मांग करते हुए नारेबाजी करने लगे। मलिक ने दावा किया कि राज्य की भाजपा सरकार एक अधिकारी को सुरक्षा मुहैया कराने में विफल रही है, जो उड़िया है। उन्होंने कहा, “राज्यपाल के बेटे का बचाव करके राज्य सरकार ने उड़िया अस्मिता का अपमान किया है, जिसरे सहारे भाजपा राज्य में सत्ता में आई। हम इस मामले पर मुख्यमंत्री से बयान की मांग कर रहे हैं।”

उन्होंने कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंद्रन के उस बयान को भी दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि कि पुरी के जिला कलेक्टर मामले की जांच कर रहे हैं। मलिक ने कहा, “जब पुरी के जिला कलेक्टर को एक आपराधिक मामले की जांच करने के लिए कहा गया है तो एसपी, डीएसपी और अन्य पुलिस अधिकारी क्या करेंगे?” उन्होंने मुख्यमंत्री से इस पर स्पष्टीकरण की मांग की, जो राज्य के गृह विभाग के भी प्रभारी हैं।

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