नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर की सरकारों को हेलमेट पहनने को लेकर एक गाइडलाइंस थमाई है, ताकि इसकी वजह से होने वाली मौतों की संख्या को कम किया जा सके। इस गाइडलाइंस को तैयार करने में आईआईटी के एक्सपर्ट की भी भूमिका रही है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने खासकर विकासशील देशों में सड़क दुर्घटनाओं के दौरान दो-पहिया वाहनों की वजह से मौतें के जो आंकड़े बताए हैं, वह डराने वाले हैं। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया है कि किस तरह के हेलमेट से दो-पहिया वाहन पर चलने वालों की जानें बच सकती है।
फुल-फेस कवरिंग और कसकर बंधा हुआ हो हेलमेट
दुनिया भर की सरकारों के लिए हेलमेट इस्तेमाल के तरीकों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक गाइडलाइंस जारी की है, जिसे तैयार करने में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) के एक्सपर्ट ने भी सहायता की है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस गाइडलाइंस में दो पहिया और तीन पहिया वाहन चलाने वालों के लिए हेलमेट को लेकर नियम दिए गए हैं। इस गाइडलाइंस में साफ कहा गया है कि दो-पहिया पर सवारी करने वालों को फुल-फेस कवरिंग (पूरी तरह से चेहरा को ढकने वाले) हेलमेट पहननी चाहिए और वह भी पूरी तरह से कसकर बांधकर रखना चाहिए, जिससे अधिकतम सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
फुल-फेस कवरिंग हेलमेट से कितनी बढ़ जाती है सुरक्षा ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक फुल-फेस कवरिंग हेलमेट अगर ठीक से बांधा गया हो तो सिर्फ इसकी वजह से गंभीर चोटों का खतरा 64% तक और ब्रेन इंजरी की घटनाएं 74% तक कम हो सकती है। डब्ल्यूएचओ के सेफ्टी एंड मोबिलिटी हेड डॉक्टर न्हान त्रान ने कहा है कि विकासशील देशों में दो-पहिया और तीन-पहिया मोटर वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही हैं, जबकि अच्छी क्वालिटी के हेलमेट की इस्तेमाल काफी किया जाता है। उनके मुताबिक, ‘खासकर विकासशील देशों में खराब इंफ्रास्ट्रक्चर के चलते पैदल चलने वालों के लिए ज्या खतरा है। मोटरसाइकिल, स्कूटर, साइकिल और ई-बाइक का तेजी से प्रसार हो रहा है और जीवन रक्षक हेलमेट का इस्तेमाल आवश्यक है। सफल कदमों और साक्ष्यों में निहित, यह मैनुअल (गाइडलाइंस) ये निर्धारित करते हैं कि जीवन बचाने में मदद करने के लिए क्या काम करता है।’
मौत के मामलों में 30% दो-पहिया वाहन शामिल
रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य संगठन के पास जो सड़क दुर्घटनाओं में मौतों के आंकड़े दर्ज हैं, उनमें से लगभग 30% दो-पहिया और तीन पहिया वाहनों से जुड़े हैं। जबकि, डब्ल्यूएचओ के पास दक्षिण-पूर्वी एशियाई क्षेत्र में कुल जितनी भी सड़क दुर्घटनाओं में मौतें दर्ज हुई हैं, उनमें से 43% में ऐसे ही वाहन शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके साथ ही पैदल यात्रियों के लिए भी गाइडलाइंस जारी किए हैं। आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर पैदल चलने वाले सड़कों पर सबसे ज्यादा असुरक्षित पाए गए।
सड़क हादसों में पैदल यात्री भी बहुत ज्यादा असुरक्षित
आईआईटी एक्सपर्ट के मुताबिक 2013 से 2016 के बीच में सड़क दुर्घटनाओं की वजह से जितनी भी मौतें हुईं, उनमें पैदल चलने वालों की संख्या करीब दोगुनी के दर से बढ़ गई। जबकि, कई विकासशील देशों में पैदल यात्रियों की मौतों के आंकड़े सही तरीके से दर्ज हो पाने पर भी सवाल खड़े हुए हैं। आईआईटी दिल्ली के एक प्रोफेसर गीतम तिवारी का कहना है कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली कुल मौतों में पैदल चलने वालों की संख्या करीब 30% है।