गर्भवती पत्नी को भर्ती करने के लिए पति ने लगाई गुहार, अस्पताल ने किया इंकार; आॉटो में बच्चे का जन्म

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नीमच: मध्यप्रदेश के नीमच जिले में एक ऐसी घटना घटित हुई है, जिसने इस देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। नीमच के जिला अस्पताल ने एक गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया था। जिसके बाद महिला ने आॉटो रिक्शा में ही बच्चे को जन्म दे दिया। जब इस घटना की खबर जिला के कलेक्टर को लगी, तो उन्होंने जांच का आदेश दिया।

दरअसल, राजस्थान के चितौड़गढ़ जिले के गंगरार क्षेत्र के निवासी दिनेश सिलावट अपनी पत्नी के साथ कुछ समय से मध्यप्रदेश के नीमच जिले के मलखेड़ा गांव में रह रहे हैं। दिनेश सिलावट ने बताया कि जब 22 मई की दोपहर करीब 2:30 बजे उनती पत्नी रजनी को प्रसव पीड़ा हुई, तो वह उसे नीमच के जिला अस्पताल में ले गए। लेकिन नीमच जिला अस्पताल के कर्मचारियों ने उनकी पत्नी को अस्पताल में भर्ती करने से इंकार कर दिया।

दिनेश सिलावट ने यह भी बताया कि उनकी पत्नी को इतनी पीड़ा में देखने के बाद और उनके बहुत ज्यादा अनुरोध करने के बावजूद अस्पताल के कर्मचारियों ने उनकी एक नहीं सुनी। अस्पताल के कर्मचारियों ने उनसे कहा कि वह अपनी पत्नी को राजस्थान के उदयपुर ले जाएं। अस्पताल की महिला कर्मचारियों ने उन्हें वहाँ से जाने को कह दिया। दिनेश सिलावट ने बताया कि ‘जब करीब 4 बजे मैं अस्पताल से अपनी पत्नी को लेकर बाहर आया, तो रास्ते में मेरी पत्नी ने आॉटो रिक्शा में ही बच्चे को जन्म दे दिया। जच्चा और बच्चा बोनों ही सुरक्षित हैं। उन्होंने बताया कि आसपास के कुछ लोगों ने मेरी सहायता की। बच्चे की डिलीवरी के समय लोगों ने कपड़ों की सीट लगाकर मेरी पत्नी को गोपनीयता प्रदान की।

दिनेश ने बताया कि जब अस्पताल के लोगों को बहुत बच्चे के जन्म के बारे में जानकारी मिली, तो उन्होंने मेरी पत्नी को अस्पताल में दाखिल कर लिया। प्रसूति विभाग के मुख्य डॉ. लाड धाकड़ ने इस घटना के संबंध में यह बयान दिया है कि उस दिन अस्पताल में एनेस्थेटिस्ट की छुट्टी थी, इसलिए अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी नहीं हो पाई। उन्होंने यह भी कहा कि वे उस दिन उनकी शिफ्ट दो बजे ही खत्म हो गई थी और जब अस्पताल के कर्मचारियों ने मुझे महिला के बारे में बताया तो मैं उनकी जांच की। महिला का ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा है। मैंने महिला के परिवार के सदस्यों से कहा था कि इन्हें किसी बड़े अस्पताल ले जाएं। लेकिन वे अस्पताल से नहीं गए।

डॉ. लाड धाकड़ ने बताया कि वे अस्पताल में ज्यादा गंभीर मरीज़ों को भर्ती नहीं करते हैं।
जब इस घटना की जानकारी नीमच जिलाधिकारी दिनेश जैन को हुई, तो उन्होंने कहा कि इस घटना की जांच की जाएगी और अगर कोई दोषी पाया गया तो उस व्यक्ति पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

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