नई दिल्ली : डायबिटीज एक तेजी से बढ़ती गंभीर बीमारी है। इत्तेफाक से डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है। यह बीमारी अग्नाशय (pancreas) को प्रभावित करती है जिससे वो इंसुलिन नामक हार्मोन को बनाना कम कर देता है या बना नहीं पाता। यह हार्मोन ब्लड में शुगर कंट्रोल करने का काम करता है। टाइप 2 डायबिटीज को लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव करके कंट्रोल किया जा सकता है जबकि टाइप 1 में ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए आपको इंसुलिन के इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है और वो भी जीवनभर के लिए।
डायबिटीज एक गंभीर समस्या है. इसकी चपेट में आने वाले शरीर में पैंक्रियाज उचित मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है, जिसकी वजह से ब्लड शुगर लेवल (Blood Suger Level) बढ़ जाता है. अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया जाए तो शरीर के बाकी अंग डैमेज हो सकते हैं. डायबिटीज होने पर शरीर में कई लक्षण नजर आते हैं. जैसे- वजन कम होना, बार-बार पेशाब आना, ज्यादा प्यास लगने जैसी समस्याएं. वहीं, डायबिटीज के कुछ लक्षण पैरों में भी दिखाई दे सकते हैं.
1. दर्द या झुनझुनी
डायबिटिक न्यूरोपैथी पैरों की नसों को नुकसान पहुंचाने का काम कर सकती है. इसकी वजह से पैरों में दर्द या झुनझुनी महसूस होती है. कई बार पैर सुन्न तक हो जाते हैं. इसके अलावा इसकी वजह से पाचन, यूरिनरी ट्रेक्ट, रक्त वाहिनियों और दिल की सेहत भी प्रभावित हो सकती है. अक्सर पैरों में झुनझुनी या पैर सुन्न हो ने की समस्या को इग्नोर नहीं करना चाहिए.
2. पैरों में छाले
डायबिटीज के करीब 15% मरीजों के तलवों में छाले पड़ जाते हैं. जिससे स्किन पूरी तरह खुली नजर आती है. कुछ गंभीर मामलों में तो पैर तक काटने की नौबत आ सकती है. इसलिए ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखना चाहिए.
3. एथलीट्स फुट प्रॉब्लम
डायबिटीज में पैरों की नसें डैमेज होने से एथलीट फुट की प्रॉब्लम भी हो सकती है. यह एक तरह का फंगल इंफेक्शन होता है, जिसकी वजह से पैरों में खुजली, दरार या रेडनेस की समस्या हो सकती है. इन लक्षणों के नजर आने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.
4. पैरों में सूजन
डायबिटीज में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है, जिसकी वजह से पैरों में ब्लड फ्लो सही तरह से नहीं हो पाता है. इसकी वजह से सूजन और रेडनेस की समस्या पैरों में आ सकती है. लंबे समय तक सूजन रहे तो अनेदखा नहीं करना चाहिए.
5. पैर के नाखूनों में समस्या
डायबिटीज के मरीजों के पैस के नाखूनों में फंगल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है. यही कारण है कि उनके नाखूनों का रंग बदल जाता है और नाखून मोटे, टेढ़े-मेढ़े नजर आते हैं. कुछ केस में नाखून अपने आप ही टूटने लगते हैं.