नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध की वजह से समुद्र के नीचे पड़ी हजारों किमी लंबी रूस की नार्ड स्ट्रीम 1 गैस पाइपलाइन इन दिनों बेकार पड़ी है। रूस ने इससे यूरोप को भेजी जाने वाली गैस को बंद कर दिया है, नतीजतन इसका कोई इस्तेमाल नहीं रहा है। गैस की सप्लाई बंद होने के बाद बावजूद इसमें अब भी गैस मौजूद है, जिसको लेकर अमेरिका, यूरोप समेत पर्यावरणविदों को चिंता हो रही है। ये चिंता केवल इतनी ही नहीं है, बल्कि इससे कहीं अधिक है। दरअसल, समुद्र के नीचे मौजूद इस पाइपलाइन की हालत ठीक नहीं है। इसलिए इसको मरम्मत की सख्त जरूरत है। रूस ने भी गैस की आपूर्ति न करने की सबसे बड़ी वजह यही बताया है कि गैस पाइपलाइन को मरम्मत चाहिए। हालांकि ये भी एक सच्चाई है कि रूस इसको एक हथियार के रूप में यूरोप के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है।
हमेशा के लिए बेकार हो सकती है ये पाइपलाइन
इस गैस पाइपलाइन को लेकर अब जानकार कह रहे हैं कि यदि इसकी मरम्मत नहीं की गई तो ये हमेशा के लिए बेकार हो सकती है। जर्मनी समेत यूरोप के दूसरे देशों से इस पाइपलाइन से हो रहे गैस रिसाव और इससे समुद्री जीवन को होने वाले नुकसान की चिंता सता रही है। वहीं यूरोप और अमेरिका लगातार इसमें रूस की एक साजिश भी लग रही है। आपको बता दें कि रूस ने यूरोप और खासतौर पर जर्मनी को गैस सप्लाई करने के लिए दो गैस पाइपलाइन समुद्र के नीचे डाली थीं। इनमें से एक नार्ड स्ट्रीम 1 को अब काफी समय हो चुका है। इसमें लगातार आ रही खराबी और इसके रख रखाव को देखते हुए रूस ने नार्ड स्ट्रीम 2 के नाम से दूसरी पाइपलाइन समुद्र के नीचे डाली थी। हालांकि ये पाइपलाइन अब तक चालू नहीं हो पाई है।
लाखों टुकड़ों को जोड़कर बनी है पाइपलाइन
ये दोनों ही पाइपलाइन लाखों टुकड़ों को जोड़कर डाली गई है। इस लिहाज से इसमें कई अलग अलग सेक्शन हैं। जानकारों का कहना है कि यदि इसकी मरम्मत नहीं हुई तो बाल्टिक सागर का पानी घुस जाएगा। इस पानी से इस पाइपलाइन में जंग लगने लगेगा। अगस्त 2022 से ही नार्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन बंद पड़ी है। वहीं नार्ड स्ट्रीम 2 का उद्घाटन होने से पहले ही यूक्रेन से रूस का युद्ध शुरू हो गया और फिर उसपर प्रतिबंधों की मार पड़ने लगी। नार्ड स्ट्रीम 1 में अब तक 3 अलग-अलग सैक्शंस पर लीकेज की पुष्टि की जा चुकी है।
रूस पर फोड़ रहे ठीकरा
अमेरिका और यूरोपीय संघ इसके लिए लगातार रूस को ही जिम्मेदार ठहरा रहा है। ईयू का कहना है कि रूस के हमलों के मद्देनजर ही इस पाइपलाइन को इतना नुकसान हुआ है। इसके जवाब में रूस ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से राष्ट्रपति जो बाइडन का वो पुराना वीडियो वायरल कर दिया है जिसमें वो यूक्रेन पर हमला करने की सूरत में इसको नुकसान पहुंचाने की बात कर हैं।
गैस की कीमतों में इजाफा
गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के बाद से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस की कीमतें काफी तेजी से बढ़ी हैं। वहीं लीकेज की खबर ने भी इन कीमतों को बढ़ाने का काम किया है। वर्ष 2012 में नार्ड स्ट्रीम 1 तैयार हुई थी और 2015 में इसको लेकर जर्मनी और रूस के बीच करार हुआ था। इस पाइपलाइन का सबसे अधिक फायदा जर्मनी को ही होना था। लेकिन अब जबकि ये बंद पड़ी है और गैस लीक हो रही है तो इससे नुकसान रूस और जर्मनी दोनों को ही हो रहा है। दोनों का ही इस पाइपलाइन में पैसा लगा है। हालांकि रूस ने इस पर जर्मनी से अधिक खर्च किया है। इस लिहाज से रूस को इसमें ज्यादा नुकसान है।