नई दिल्ली : शरीर में हार्मोन से जुड़ी समस्याओं को समझ पाना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं है. लेकिन शरीर में हो रहे बदलावों पर बारीकी से नजर रखी जाए तो इसकी आसानी से पहचान की जा सकती है. डॉक्टर्स कहते हैं कि शरीर में नजर आने वाले कुछ लक्षण हार्मोनल इम्बैलेंस के बारे में बताते हैं. हार्मोन वो कैमिकल मैसेंजर होते हैं जो खून के जरिए उन्हें विभिन्न कार्यों के लिए सीधे शरीर के अंगों और ऊतकों तक ले जाते हैं. नींद को रेगुलेट करने, मेटाबॉलिज्म, मूड और रीप्रोडक्टिव साइकिल में हार्मोन की अहम भूमिका होती है. जीवन के अलग-अलग चरणों जैसे प्रेग्नेंसी, पीरियड या मीनोपॉज से पहले तक शरीर में हार्मोन्स का लेवल अलग-अलग हो सकता है. कुछ दवाएं, इलाज या सेहत से जुड़ी समस्याएं भी शरीर में हार्मोन्स को प्रभावित कर सकती हैं.
मूड स्विंग, नींद के पैटर्न में बदलाव (इंसोमेलिया), याद्दाश्त से जुड़ी दिक्कत, हर वक्त थकावट महसूस होना, सिरदर्द या डाइजेशन से जुड़ी समस्या हार्मोन में खराबी का संकेत हो सकते हैं. इसके अलावा मांसपेशियों से जुड़ी दिक्कत भी हार्मोन में गड़बड़ी का संकेत हो सकती है. साइकोलॉजिस्ट स्पेशलिस्ट टिम ग्रे कहते हैं कि हार्मोन से जुड़ी समस्या में इन्फ्लेमेशन को नजरअंदाज करना बड़ी भूल है. यह आपके इम्यून सिस्टम के साथ खिलवाड़ करती है और शरीर में कोर्टिसोल लेवल को बढ़ाने का काम करती है. बहुत ज्याद स्ट्रेस, खराब नींद, प्रोसेस्ड या शुगर फूड इस इन्फ्लेमेशन को बढ़ावा देने का काम करते हैं.
हार्मोनल इम्बैलेंस की वजह से बढ़ने वाली इन्फ्लेमेशन को रोकने के लिए नैचुरल डाइट, पर्याप्त नींद और खान-पान व नियमित एक्सराइज के लिए शेड्यूल तय करना बहुत जरूरी है. सूर्योदय के बाद नीली रोशनी को पूरी तरह ब्लॉक रखें. इससे शरीर में इन्फ्लेमेशन का स्तर कम करने वाले एंटीऑक्सीडेंट मेलाटोनिन का निर्माण होता है. साथ ही आप बेहतर नींद ले पाते हैं. तनाव मुक्त रहने और इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने के लिए मेडिटेशन कीजिए. साथ ही शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए अच्छे से पानी पीजिए.