नई दिल्ली. योग गुरु बाबा रामदेव (Yoga Guru Baba Ramdev) ने मंगलवार को बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंदुओं (Hindus) के मंदिरों, घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों (temples, homes and commercial establishments) पर हो रहे लक्षित हमलों की निंदा की. उन्होंने केंद्र सरकार (Central government) से पड़ोसी देश में हिंदू अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से हर संभव प्रयास करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि कुछ लोग भारत (India) में भी अस्थिरता पैदा करने के इरादे से सोशल मीडिया पर बांग्लादेश की घटना का महिमामंडन कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्ती बरतने की जरूरत है.
बाबा रामदेव ने कहा, ‘बांग्लादेश में हमारे हिंदू भाइयों-बहनों पर किसी भी प्रकार की क्रूरता, जुल्म, ज्यादती न हो, नाइंसाफी न हो, इसके लिए पूरे देश को एकजुट रहना होगा. जिस तरह से दुनिया में इस्लामिक कट्टरवाद बढ़ रहा है और अब भारत के पड़ोस में भी उसने दस्तक दे दी है, वह हमारे देश के लिए बहुत ही खतरनाक हो सकता है. मुझे डर है कि हिंदू बेटियों की इज्जत पर बात नहीं आ जाए. बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथी जो हिंदुओं के साथ कर रहे हैं वो गलत है. हमें भारत में एकजुट होकर दुनिया को हिंदुओं की ताकत दिखानी होगी.’
रामदेव ने कहा, ‘बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा चरम पर है. जमात-ए-इस्लामी और तमाम कट्टरपंथी ताकतें अपनी क्रूरता दिखा रही हैं. ऐसी किसी भी घटना की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए. इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अगर हम बांग्लादेश बना सकते हैं, तो हमारे हिंदू भाइयों की रक्षा के लिए हम वहां हस्तक्षेप भी कर सकते हैं. उनकी (इस्लामिक कट्टरपंथी) रक्षा करने के लिए कुछ ऐसे राजनीतिक लोग, सामाजिक और धार्मिक आतंकी हैं, जो चाहते हैं कि बांग्लादेश जैसी स्थिति भारत में हो जाए. ऐसे लोगों को भी रोकना पड़ेगा.’
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने पर आरएसएस के वरिष्ठ नेता भैयाजी जोशी ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, ‘बांग्लादेश मामले पर भारत सरकार उचित कदम उठाए. हम सरकार से निवेदन कर रहे हैं कि वहां के हिंदू सुरक्षित रहें, यह सुनिश्चित किया जाए. हमें विश्वास है की सरकार उचित कदम उठाएगी.’ बाबा रामदेव और भैयाजी जोशी के बयान बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के एक दिन बाद आए हैं. बता दें कि शेख हसीना ने 5 अगस्त, 2024 को बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद देश छोड़ दिया था और फिलहाल भारत में हैं.
उनकी सरकार के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन हिंसक होने के बाद हसीना को इस्तीफा देने और बांग्लादेश से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा. फिलहाल बांग्लादेश में सेना ने मोर्चा संभाला है और अंतरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया चल रही है. नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है. बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की अध्यक्षता में हुई एक अहम बैठक में यह फैसला लिया गया. इस बैठक में देश की तीनों सेनाओं के प्रमुख और छात्र आंदोलन का नेतृत्व कर रहे प्रमुख स्टूडेंट यूनियनों के नेता भी शामिल थे.
एक अर्थशास्त्री के रूप में गरीबी उन्मूलन के खिलाफ अपने काम से विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले और ‘गरीबों के बैंकर’ के रूप में मशहूर मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार बनाने की मांग प्रदर्शनकारी छात्रों ने की थी. राष्ट्रपति के साथ हुई बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए छात्र नेताओं ने कहा कि उन्हें आश्वासन दिया गया है कि जल्द ही यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा. उन्होंने अंतरिम सरकार का हिस्सा बनने के लिए 10-14 प्रमुख व्यक्तियों सहित नामों की एक सूची सौंपी है.
लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में अपने अग्रणी कार्य के लिए 83 वर्षीय यूनुस को 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. मुहम्मद यूनुस पर हसीना सरकार द्वारा 190 से अधिक मामलों में आरोप लगाए गए थे. अतीत में शेख हसीना सरकार के साथ उनकी अदावत रही है. कथित तौर पर उन्हें ग्रामीण बैंक के प्रबंध निदेशक के पद से इस आधार पर बाहर कर दिया गया था क्योंकि उनकी कानूनी सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से अधिक हो गई थी. 1940 में चटगांव में पैदा हुए यूनुस ने अपनी शुरुआती उच्च शिक्षा ढाका विश्वविद्यालय में की और फिर अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका के वेंडरबिल्ट विश्वविद्यालय में दाखिला लिया.