नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि अगर मनी लॉन्ड्रिंग केस में कोई आरेापी यदि कोर्ट के समन पर हाजिर हुआ है तो उसे पीएमएलए की धारा 45 के तहत जमानत की दोहरी शर्त पूरी नहीं करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में साफ कर दिया कि जमानत की दोहरी शर्त सिर्फ उन्हीं अभियुक्तों पर लागू होगी जिन्हें जांच के बाद गिरफ्तार किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उस मामले में आया है, जिसमें ये सवाल किया गया था कि क्या मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को जमानत के लिए दोहरे परीक्षण से गुजरना होता है. जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने इस मामले में 30 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि यदि आरोपी समन के मुताबिक अदालत में पेश होता है, तो उसे हिरासत में लेने के लिए ईडी को कोर्ट में आवेदन करना होगा और पर्याप्त सबूत भी दिखाने होंगे.
पीएमएलए की धारा 45 में जमानत की दोहरी शर्त का प्रावधान है, जिसके चलते आरोपी को जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है. पीएमएलए की धारा 45 के तहत जमानत देते हुए कोर्ट को इस बात के लिए आश्वस्त होना पड़ता है कि आरोपी ने वो अपराध नहीं किया है और जमानत के दौरान या भविष्य मे कोई ऐसा अपराध किये जाने की आशंका नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति कोर्ट के समन पर हाजिर होता है तो उसे पीएमएलए की धारा 19 के तहत मिले अधिकार के तहत सीधे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. यदि ईडी को उस आरोपी की हिरासत चाहिए तो उसे कोर्ट से ही कस्टडी की मांग करनी होगी. कोर्ट हिरासत का आदेश तभी देगा जब एजेंसी के पास पूछताछ की जरूरत को साबित करने के लिए पुख्ता कारण होंगे. इसके अलावा निचली अदालत में रिमांड की अर्जी लगाकर कोर्ट को ये आश्वस्त करना होगा कि रिमांड जरूरी क्यों है.