लखनऊ: बिजली उपभोक्ताओं के घर लगने जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटर की विश्वसनीयता और चाल परखने में उपभोक्ताओं के घर पहले से लगे साधारण मीटर ही चेक मीटर का काम करेंगे। ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार ने पांच फीसदी साधारण मीटर जो पहले से उपभोक्ताओं के परिसर में लगे हैं, उसे चेक मीटर मानते हुए उसके समानांतर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने को कहा है। इस व्यवस्था के तहत तीन महीने तक दोनों मीटरों की रीडिंग का मिलान किया जाएगा।
25 फीसदी साधारण मीटरों को चेक मीटर घोषित करने की मांग चेक मीटर की यह सेवा निशुल्क होगी। विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सचिव पंकज अग्रवाल को पत्र भेज लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि उपभोक्ता परिसर में लगे पुराने पांच फीसदी साधारण मीटर को चेक मीटर माने जाने की सीमा बहुत कम है। इस सीमा को बढ़ाकर कम से कम 25 फीसदी किया जाए। राज्य में पूर्व में लगे 12 लाख स्मार्ट मीटर के मामले में यूपी के उपभोक्ताओं का अनुभव अच्छा नहीं है। इन मीटरों के तेज चलने की शिकायतें अधिक रही हैं।
उपभोक्ताओं की संतुष्टि के लिए की गई यह व्यवस्था अवधेश वर्मा ने कहा है कि मंत्रालय के इस आदेश से उपभोक्ताओं को अपने परिसर में लगे साधारण मीटर जिस पर उसे विश्वास है, उसे ही चेक मीटर माना जाएगा। राज्य के तीन करोड़ उपभोक्ताओं के परिसर में जब नये स्मार्ट मीटर लगेंगे तो उनमें से पांच फीसदी उपभोक्ताओं के परिसर में लगे पुराने साधारण मीटर के समानांतर ही स्मार्ट मीटर लगेंगे। तीन महीने तक दोनों मीटर एक साथ चलेंगे। अंत में रीडिंग का मिलान होगा। यदि स्मार्ट मीटर साधारण मीटर से तेज चलेगा तो उपभोक्ता अपने स्मार्ट मीटर को तत्काल बदलवा सकता है।