उत्तर प्रदेश : अगर आप संगम के समीप स्थित बंधवा बड़े हनुमान मंदिर (लेटे हुए हनुमान जी) की आरती में शामिल होना चाहते हैं तो आपको धोती पहनकर ही आना होगा। मंदिर परिसर में होने वाली सुबह और शाम की आरती में केवल धोती पहनकर आने वाले लोगों को ही शामिल होने दिया जाता है। अगर कोई जींस-पैंट पहनकर आता है तो उसे लौटा दिया जाता है।
मंदिरों में होने वाली आरती पारंपरिक होती है। ऐसे में परिधान का विशेष महत्व होता है। मंदिर प्रशासन ने इसी तर्क को आधार बनाकर ड्रेस कोड लागू किया है। सनातन धर्म की पूजा रीति में वस्त्र भी सनातनी होने चाहिए। कमर में धोती और कांधे पर गमछा होने से विचार खुले और शुद्ध रहते हैं। यही कारण है कि पूजा विधि में इस वस्त्र को शामिल किया गया है। धोती किसी भी रंग की हो सकती है।
मंदिर के आचार्य महंत बलवीर गिरि का कहना है कि सुबह से शाम तक हर वक्त इस नियम को लागू नहीं कर सकते, लेकिन आरती वो खास समय होता है, जब इसे लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस दौरान मंदिर का पूजारी, ढोल बजाने वाले साधक या फिर आतरी में शामिल होने सभी लोगों को इसे पहनना अनिवार्य किया गया है।
प्रयागराज के कुछ मंदिरों में पूर्व में ही यह व्यवस्था लागू हो चुकी है। मनकामेश्वर मंदिर में यह व्यवस्था लागू की गई है। यहां मंदिर में महिलाओं के लिए साड़ी, सलवार सूट को अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही जैन मंदिर में भी पारंपरिक भातरीय परिधान को अनिवार्य किया जा चुका है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्रपुरी का कहना है कि यह अच्छा फैसला है। इससे लोगों के विचार शुद्ध रहते हैं। मन भटकता नहीं है। साथ ही अगर पूजा के वक्त सभी के वस्त्र एक से रहेंगे तो मंदिर में एकरूपता रहेगी। किसी के मन में बड़े या छोटे होने का भाव नहीं होगा।