नई दिल्ली : अयोध्या में रामलाल की मूर्ति बनाने के लिए नेपाल से शालिग्राम की खास शिलाएं (Stone) मंगवाई गई हैं. सनातन धर्म में शालिग्राम पत्थर को साक्षात भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है और प्रभु राम विष्णु जी के ही सातवें अवतार माने जाते हैं. शालिग्राम को कुछ लोग अपने घर के मंदिर या पूजा के स्थान पर रखते हैं. इसे घर में रखने से न केवल भगवान विष्णु प्रसन्न रहते है, बल्कि धन की देवी माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शालिग्राम को घर में स्थापित करने के बाद कुछ खास नियमों की अनदेखी इंसान को बर्बाद भी कर देती है.
ज्योतिषियों का कहना है कि शालिग्राम महाराज पर कभी भी अक्षत यानी चावल नहीं चढ़ाना चाहिए. हर महीने आने वाली एकादशी भगवान विष्णु को ही समर्पित होती है और इसमें भी श्री हरि को अक्षत अर्पित नहीं किया जाता है.
अगर आप अपने घर में शालिग्राम को स्थापित करना चाहते हैं तो हमेशा अपनी मेहनत की कमाई से ही इसे खरीदकर घर लाएं. यह न तो किसी गृहस्थ इंसान को उपहार के रूप में देना चाहिए और न ही किसी से लेना चाहिए. आप या तो इसे अपनी कमाई से खरीद सकते हैं या फिर किसी साधु-संत से ले सकते हैं.
शालिग्राम के उपयोग से घर के सभी वास्तु दोष दूर हो जाते हैं. शालिग्राम करीब 33 प्रकार के हैं, जिनमें से 24 को श्री हरि भगवान विष्णु के अवतार के रूप में देखा जाता है. शालिग्राम जिस घर में होता है, वहां कभी लोगों पर संकट नहीं आता है. हालांकि ज्योतिषविद कहते हैं कि हमें घर में सिर्फ एक ही शालिग्राम रखना चाहिए. एक से ज्यादा शालिग्राम भूलकर भी न रखें.
यदि आपने घर के मंदिर में शालिग्राम रखा है तो आपको मांस या मदिरा-पान के सेवन से परहेज करना चाहिए. अगर ऐसा करना आपके लिए संभव नहीं है तो कम से कम गुरुवार के दिन ऐसी चीजों से बिल्कुल दूर रहें. यह दिन भगवान विष्णु को ही समर्पित होता है. अगर आप इस नियम का पालन नहीं कर पा रहे हैं तो शालिग्राम को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें.
ज्योतिषियों का कहना है कि घर में एक बार शालिग्राम की पूजा का क्रम शुरू हो जाए तो इसे बिल्कुल नहीं तोड़ना चाहिए. यानी नियमित तौर पर शालिग्राम की पूजा जरूरी है. शालिग्राम को नियमित चंदन, पुष्प, मिष्ठान आदि अर्पित करते रहें. पूजा के समय अगर आप तुलसी दल भी अर्पित कर पाएं तो ये बहुत ही उत्तम होगा.