साउथ कोरियाई राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव संसद में पेश, देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन की तैयारी
सियोलः दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति की कुर्सी खतरे में आ गई है। मंगलवार को राष्ट्रपति यून सुक योल के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया। इससे पहले उन्होंने देश में मार्शल लॉ लागू करने का ऐलान किया था। हालांकि भारी दबाव के चलते उन्हें बाद में मार्शल लॉ कुछ ही घंटे बाद वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी। दक्षिण कोरिया के विपक्ष सांसदों का कहना है कि संसद को राष्ट्रपति को तुरंत हटाने पर फोकस करना चाहिए। विपक्ष का कहना है कि जब तक राष्ट्रपति योल पद पर रहेंगे, तब तक देश में हालात सामान्य नहीं हो सकेंगे।
इसके साथ दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग को लेकर देश भर में कई जगह विरोध प्रदर्शन की तैयारी चल रही है। योनहाप न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण कोरिया के सबसे बड़े शहर बुसान में एक्टिविस्ट्स अगले हफ्ते हर दिन एक विरोध प्रदर्शन रैली आयोजित करने का प्लान बना रहे हैं। वहीं आज शाम देश के दक्षिण-पश्चिम में स्थित ग्वांगजू में कैंडल मार्च निकाला जाएगा। जिसमें हजारों लोगों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।
दरअसल, बीते 3 दिसंबर को भारतीय समय अनुसार रात 8:35 बजे, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने देश में इमरजेंसी या मार्शल लॉ लगाने का ऐलान किया। इसके तुरंत बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इस विरोध के दबाव में आकर, रात करीब 1:30 बजे राष्ट्रपति ने घोषणा की कि सेना को वापस बुला लिया गया है और जल्द ही कैबिनेट बैठक होगी, जिसमें इमरजेंसी हटाने का फैसला लिया जाएगा।
राष्ट्रपति ने अपनी घोषणा के दौरान मुख्य विपक्षी पार्टी पर उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखने और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया, जिसके कारण यह कदम उठाना पड़ा। इसके बाद, पूरा विपक्ष तुरंत नेशनल असेंबली पहुंच गया। सेना के संसद को कब्जे में लेने से पहले ही विपक्षी सांसदों ने संसद की कार्यवाही शुरू कर दी।
सेना ने संसद भवन में घुसने के लिए खिड़कियां तोड़नी शुरू कर दीं और कई विपक्षी सांसदों को हिरासत में लिया। संसद की छत पर हेलिकॉप्टर तैनात किए गए और सड़कों पर मिलिट्री टैंक लाए गए। हालांकि, इससे पहले कि सेना संसद के अंदर दाखिल होती, नेशनल असेंबली के 300 में से 190 सांसदों ने राष्ट्रपति के मार्शल लॉ के प्रस्ताव को मतदान में गिरा दिया।
सांसदों के इस कदम के बाद, स्पीकर वू वोन सिक ने घोषणा की कि संसद ने राष्ट्रपति के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद सेना ने अपनी कार्रवाई रोक दी, हालांकि, सेना ने यह भी कहा कि सैन्य कानून तब तक लागू रहेगा जब तक राष्ट्रपति आधिकारिक रूप से इसे हटाने की घोषणा नहीं करते।