नई दिल्ली : भारत और सऊदी अरब के बीच हज यात्रियों को लेकर समझौता हुआ है. इस साल हज के लिए भारत से 1 लाख 75 हजार 25 तीर्थयात्री सऊदी अरब जाएंगे. महिला एवं बाल कल्याण एवं अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी और विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन सऊदी की राजधानी में जेद्दा में हैं. उन्होंने सऊदी अरब के हज और उमरा मामलों के मंत्री डॉ. तौफीक बिन फौजान अल रबिया के साथ द्विपक्षीय हज समझौते 2024 पर हस्ताक्षर किए.
हज 2024 के लिए भारत से 1,75,000 तीर्थयात्रियों का कोटा तय किया गया है. इनमें से 1,40,020 सीटें हज समिति के लिए आरक्षित की गई हैं. वहीं 35,005 सीटें हज ग्रुप ऑपरेटर्स के लिए जारी की जाएंगी.
इसके साथ ही भारत सरकार ने एक डिजिटल इनिशिएटिव भी शुरू किया है, जिससे भारतीय हज यात्रियों को सभी जरूरी सूचनाएं मिल सकेंगी. सऊदी अरब ने इसके लिए पूरी मदद करने का भरोसा दिलाया है.
हज इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जिल हिज्जाह की 8वीं तारीख से 12वीं तारीख तक होता है. जिस दिन हज पूरा होता है, उस दिन ईद-उल-अजहा यानी बकरीद होती है. मुसलमानों में हज के अलावा एक और यात्रा होती है, जिसे उमराह कहा जाता है. हालांकि, उमराह साल में कभी भी हो सकता है जबकि हज सिर्फ बकरीद पर ही होता है.
मुस्लिमों के लिए हज यात्रा बेहद जरूरी मानी जाती है. ये इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है. इस्लाम में 5 स्तंभ हैं- कलमा पढ़ना, नमाज पढ़ना, रोजा रखना, जकात देना और हज पर जाना. कलमा, नमाज और रोजा रखना तो हर मुसलमान के लिए जरूरी है. लेकिन जकात (दान) और हज में कुछ छूट दी गई है. जो सक्षम हैं यानी जिनके पास पैसा है, उनके लिए ये दोनों (जकात और हज) जरूरी हैं.
हज सऊदी अरब के मक्का शहर में होता है, क्योंकि काबा मक्का में है. काबा वो इमारत है, जिसकी ओर मुंह करके मुसलमान नमाज पढ़ते हैं. काबा को अल्लाह का घर भी कहा जाता है. इस वजह से ये मुसलमानों का तीर्थ स्थल है.