जम्मू-कश्मीर में 7 साल बाद आज से फिर शुरू होगा बजट सत्र, हंगामेदार होने के आसार, उमर सरकार की अग्नि परीक्षा शुरू

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जम्मू: आज यानी 3 मार्च को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में40 दिवसीय बजट सत्र शुरू होने जा रहाी है। इसकी शुरुआत उपराज्यपाल के अभिभाषण से होगी। सत्र के दौरान कुल 22 बैठकें होंगी। जानाकारी दें कि करीब 7 साल बाद जम्मू-कश्मीर में बजट सत्र शुरु होने जा रहा है. वहीं 7 मार्च को मुख्यमंत्री उमर बजट पेश करेंगे। इस बाबत बीते रविवार को यानी बजट सत्र से एक दिन पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सदन के सुचारू संचालन पर चर्चा करने के लिए गठबंधन दलों की एक संयुक्त बैठक की अध्यक्षता की।

जानकारी दें कि, इससे पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा नहीं होने के कारण पिछले पांच बजट संसद द्वारा प्रस्तुत और पारित किए गए थे, जबकि जून 2018 में पीडीपी-भाजपा सरकार के गिरने के बाद तत्कालीन राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने 2019-2020 के खातिर बजट पारित करने के लिए राज्य प्रशासनिक परिषद का नेतृत्व किया था। इस बैठक में कांग्रेस विधायक दल के नेता जी.ए. मीर और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) विधायक एम.वाई. तारिगामी ने भाग लिया था। इससे अलग अब्दुल्ला ने अपने आधिकारिक आवास पर नेशनल कॉन्फ्रेंस की विधायक दल की बैठक की अध्यक्षता की जिसके तुरंत बाद ही गठबंधन सहयोगियों के साथ यह बैठक हुई।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला भी संयुक्त बैठक में शामिल हुए थे। बैठक के बाद तारिगामी ने संवाददाताओं से कहा था कि, ‘‘बजट सत्र लंबे समय के बाद हो रहा है और लोगों को इस सरकार से काफी उम्मीदें हैं। हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरें, ताकि उन्हें राहत मिले।” उन्होंने कहा कि विधायकों के पास सदन के अंदर जनता के मुद्दे उठाने का अवसर है।

वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य सचेतक मुबारक गुल ने कहा था कि पार्टी विधायक दल ने मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक घंटे तक बैठक की, जिसमें विधानसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए पार्टी की रणनीति पर चर्चा की गई। कांग्रेस विधायक दल के नेता जी ए मीर ने कहा था कि, ‘‘सात साल बाद, एक निर्वाचित सरकार द्वारा बजट पेश किया जा रहा है और यह लोगों की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करेगा…लोगों की आवाज छह सप्ताह तक सदन में गूंजेगी।”

उन्होंने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा था कि सरकार अगले पांच वर्षों में अपने सभी वादों को पूरा करेगी। इससे पहले मीर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों के लिए विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले अपने विधायक दल की बैठक बुलाना एक परंपरा है, ताकि सदन में उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा की जा सके।”

कांग्रेस नेता ने कहा कि वह सत्ताधारी गठबंधन के संयुक्त विधायक दल की बैठक में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कहा था कि सरकार ने श्रीनगर में आयोजित पिछले सत्र में पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था और इसलिए देरी भाजपा नीत केंद्र सरकार की ओर से है जिसने इस मसले पर जम्मू-कश्मीर के लोगों से कई बार वादे किए हैं।

मीर ने कहा था कि, ‘‘जब प्रधानमंत्री ने (जून 2021 में) जम्मू-कश्मीर के नेताओं की सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की थी तो हम सभी उनके इस बयान के गवाह थे कि पुनर्गठन के बाद परिसीमन, चुनाव किया जाएगा और फिर पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। केंद्र को जम्मू-कश्मीर में सरकार बनने के बाद अपना वादा पूरा करना चाहिए था, लेकिन देरी उनकी तरफ से हो रही है।”

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