बिलकिस बानो दुष्कर्म मामले में दोषियों ने SC में रखा अपना पक्ष, कहा- सुनवाई से पेश होगी खतरनाक मिसाल

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नई दिल्ली : बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले और 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के दोषियों ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि उनकी सजा में दी गई छूट की वैधता को चुनौती देने वाली कई लोगों की जनहित याचिकाओं पर विचार करने से ‘पेंडोरा बाक्स’ खुल जाएगा और इससे एक खतरनाक मिसाल कायम होगी।

बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका के अलावा, माकपा नेता सुभाषिनी अली, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लाल और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा सहित कई अन्य जनहित याचिकाओं के जरिये दोषियों को सजा में दी गयी छूट की वैधता को चुनौती दी गई है। जनहित याचिकाओं की विचारणीयता को चुनौती देते हुए दोषियों में से एक की ओर से पेश वकील ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया है और मुकदमे से उनका कोई संबंध नहीं है।

मल्होत्रा ने कहा कि जनहित याचिका दायर करने वालों के पास सजा से छूट के आदेश की प्रति नहीं है और उन्होंने विभिन्न मीडिया रिपोर्ट के आधार पर इस अदालत का दरवाजा खटखटाया है। मल्होत्रा ने जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ से कहा कि मामले से संबंधित तीसरे पक्ष की जनहित याचिकाओं पर विचार करने से ‘पेंडोरा बाक्स’ खुल जाएगा और ऐसी याचिकाओं की बाढ़ आ जाएगी। किसी भी राज्य द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को समय-समय पर सजा में दी गई प्रत्येक छूट को चुनौती दी जाएगी।

गुजरात सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि किसी तीसरे पक्ष को इस मामले में कुछ कहने का अधिकार नहीं है क्योंकि यह मामला अदालत और आरोपित के बीच का है।

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