नई दिल्ली। धार्मिक मान्यता के अनुसार श्रावण मास के सोमवार का विशेष महत्व है और इस बार श्रावण मास 14 जुलाई 2022 से 12 अगस्त 2022 तक रहेगा. जिसकी तैयारी श्रद्धालुओं ने शुरू कर दी है. वैसे शिव की कृपा बरसाने में श्रावण मास का विशेष महत्व है। यहां तक कि यह भी माना जाता है कि रुद्राभिषेक शिव के रुद्र रूप को बहुत प्रिय है। कृपा से सभी ग्रह विघ्न और सभी समस्याएं नष्ट हो जाती हैं। सावन में रुद्राभिषेक करना अधिक शुभ होता है। रुद्राभिषेक करने से किसी भी प्रकार की परेशानी या ग्रह पीड़ा दूर होती है। मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना बहुत अच्छा होता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से कुंडली में मौजूद महापातक या अशुभ दोष भी दूर हो जाते हैं।
रुद्राभिषेक में इस्तेमाल होने वाली चीजें-
दूध के साथ शिवलिंग का रुद्राभिषेक सबसे शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि दूध में चीनी मिलाकर अभिषेक करने से भोलेनाथ भक्तों को ज्ञान का वरदान देते हैं। वहीं दही से रुद्राभिषेक करने से कार्य में आ रही बाधाएं दूर होती हैं. शिवलिंग पर शहद चढ़ाने से मान सम्मान में वृद्धि होती है। भगवान शिव का इत्र से अभिषेक करने से मानसिक तनाव दूर होता है। घी के साथ चढ़ाने से अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है। गंगाजल घर में सुख-समृद्धि लाता है, वहीं भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। गन्ने के रस से महादेव की पूजा करने से आर्थिक परेशानी दूर होती है। शिवलिंग पर शुद्ध जल चढ़ाने से पुण्य फल मिलता है।
शिव पूजा में रुद्राभिषेक का महत्व
ऐसा माना जाता है कि रुद्राभिषेक शिव के रुद्र रूप को बहुत प्रिय है। कृपा से सभी ग्रह विघ्न और सभी समस्याएं नष्ट हो जाती हैं। सावन में रुद्राभिषेक करना अधिक शुभ होता है। रुद्राभिषेक करने से किसी भी प्रकार की परेशानी या ग्रह पीड़ा दूर होती है। मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना बहुत अच्छा होता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से कुंडली में मौजूद महापातक या अशुभ दोष भी दूर हो जाते हैं।
सावन में शिव स्तुति के लाभ
शास्त्रों में भोलेनाथ के अनेक गुण हैं। पुराणों के अनुसार सावन के सोमवार के दिन शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। शिव की नित्य पूजा करने से कभी भी धन-संपत्ति की कमी नहीं होती है। इससे भक्तों के चेहरे पर निखार आता है, आत्मविश्वास मजबूत होता है। शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और शनि दोष से भी दुष्प्रभाव से छुटकारा मिलता है। जिनकी कुंडली में सर्प योग, काल सर्प योग या पितृ दोष होता है, उन्हें शिव की स्तुति का विशेष लाभ मिलता है।